पलवल 15 जुलाई (आवाज केसरी) पलवल में कोरोना से सातवे -आठवे मरीज की मौत के बाद भी स्थानीय प्रशासन अभी लापरवाही की तमाम हदों को पार करता दिखाई दे रहा है । गौरतलब है कि पलवल तुहिराम कॉलोनी निवासी 54 वर्षीय कपूरचंद गर्ग की मंगलवार की शाम 4:00 बजे मौत हो गई थी। बावजूद इसके ना तो मृतक के घर और आस-पड़ोस को सैनिटाइज किया गया और ना ही परिवार के सदस्यों का कोविड-19 टेस्ट कराया गया । -यहां तक की मरणोपरांत दाह संस्कार के समय नगर परिषद के कर्मचारियों के द्वारा पूर्ण सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया गया। जिसके कारण मोक्ष धाम के आसपास रहने वाले लोगों ने उसका विरोध भी किया। लेकिन जिला प्रशाशन का आदेश दिखाए जाने के बाद पुलिस द्वारा समझाए जाने पर यह लोग शांत हो गए।
पलवल में एक तरफ कोरोना संक्रमितों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है वहीं कोरोना संक्रमण के कारण जिले के आठवें व्यक्ति की मौत हो गई। हालांकि मृतक पहले से ही टीबी तथा स्वास का मरीज भी था जिसका पिछले कई महीनों से अलग-अलग अस्पतालों में इलाज भी कराया गया । लेकिन जब हालत ज्यादा बिगड़ने पर बड़े अस्पताल अपेक्स ले जाया गया तो वहां पर उसका कोविड-19 कराने की सलाह दी गई, कोविड-19 टेस्ट कराने के लिए जब पलवल जिला अस्पताल पहुंचा तो वहीं पर उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई और उसे यहां से ऑक्सीजन पर अलफलाह मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद रेफर कर दिया गया लेकिन वहां पर भी जब उसका रोग डॉक्टरों के काबू नहीं आए तो वहां से पीजीआई रोहतक के लिए रेफर कर दिया गया । लेकिन परिवार के लोग उसे रोहतक की बजाए फरीदाबाद के मेट्रो हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले गए लेकिन अस्पताल में पहुंचते-पहुंचते उसकी रास्ते में ही मौत हो गई। मौत के बाद मृतक की लाश को पलवल के जिला अस्पताल में लाया गया और यहां मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया गया।
बुधवार सुबह जब मृतक के परिजन डेड बॉडी को लेने जिला अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने डेड बॉडी को देने अथवा नहीं देने का निर्णय लेने में ही कई घंटे लगा दिए और फिर कह दिया की डेड बॉडी रखी हुई है इसे आप ले जा सकते हैं । लेकिन जब स्थानीय विधायक और मीडिया के लोगों ने हस्तक्षेप किया तो स्वास्थ विभाग ने अपने तथा नगर परिषद के कर्मचारी भेज मृतक के शव को नुहं रोड स्थित मंदिर के पास पिछाई पट्टी के शमशान घाट में अंतिम संस्कार करने के लिए भेज दिया। लेकिन यहां पर जब पिछाई पट्टी के लोगों को कोविड-19 पॉजिटिव के शव के दाह संस्कार की सूचना मिली तो उन्होंने वहां पर दाह संस्कार करने का काफी विरोध किया। लेकिन बाद में पुलिस बल द्वारा लोगों को समझाने के बाद अंतिम संस्कार वहीं पर कर दिया गया।
पलवल जिला प्रशासन द्वारा कोविड-19 पॉजिटिव मरीज के शव के दाह संस्कार की जिम्मेवारी पलवल नगर परिषद को दी गई यहां से दर्जन भर कर्मचारी दाह संस्कार कराने के लिए पहुंचे लेकिन उनके पास सुरक्षा किट के नाम पर दाह संस्कार करने वाले सफाई कर्मचारियों के पास सिवाय पीटीई किट के उनके पास कुछ भी नहीं था। कर्मचारियों को पी पी ई किट पहनने की ट्रेनिंग भी नहीं दी हुई थी। श्मशानघाट को न पहले सेनीटाईज किया गया और ना ही दाह-संस्कार के बाद सैनिटाईज किया गया ।
और जब कर्मचारी जब कोरोना पॉजिटिव मरीज का दाह संस्कार कर रहे थे उनके चेहरे पर लगाया गया मास्क हटा हुआ था ।, हाथों के ग्लब्ज भी फट गए थे। सफाई कर्मचारियों ने अधिकारियों के दबाव में खुद को गंभीर खतरे में डालते हुए दाह संस्कार करने का काम किया, बाद में कर्मचारी अधिकारियों के जबरदस्ती कोरोनावायरस का दाह संस्कार करने के लिए भेजने की की बात कहते हुए रोते हुए भी दिखाई दिए । महेंद्र नाम के कर्मचारी ने रोते-बिलखते हुए बताया कि उसके छोटे-छोटे 5 बच्चे हैं और अधिकारियों ने उसे जबरदस्ती कोरोना पॉजिटिव मरीज का दाह संस्कार करने के लिए भेज दिया । जबकि उन्हें उनकी सुरक्षा के लिए ना तो सैनिटाइजर किया गया और ना ही उन्हें खुद को सुरक्षित करने के लिए सैनिटाइजर दिया गया लाश को ले जाने और लाने के दौरान भी शमशान घाट को और आसपास के क्षेत्र को भी सैनिटाइजर नहीं किया गया । जिसके कारण तमाम वे लोग कोरोना के संक्रमण की चपेट में आ सकते थे जो दाह संस्कार के समय वहां पर मौजूद थे , और सबसे ज्यादा रिस्क उन लोगों का था जिन्होंने दाह संस्कार करने का काम किया। नियम के अनुसार सभी कर्मचारियों को श्मशानघाट से निकलते ही पीपीई किट सहित सेनिटाईज किया जाना चाहिए था उसके बाद ही पीपीई किट को उतारना चाहिए था । लेकिन यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं था ।
पलवल नगर परिषद के जूनियर इंजीनियर मनीष शर्मा ने मृतक के घर आस पड़ोस तथा श्मशान घाट को सैनिटाइज नहीं किए जाने पर जवाब मैं कहा की यहाँ यह दाह संस्कार का काम जब पूरा हो जाएगा तब बाद में करा दिया जाएगा । जबकि नियम के अनुसार डेड बॉडी को लाने वाले वाहन से डेड बॉडी को उतारते ही जमीन तक को सेनिटाइज किया जाना चाहिए था और पूरे शमशान घाट को सेनीटाईज करके उसके बाद ही कर्मचारियों को दाह संस्कार के लिए शमशान घाट में प्रवेश कराया जाना चाहिए था । लेकिन यह सारी सावधानी बरतना तो बहुत दूर की बात है पलवल नगर परिषद के सफाई कर्मचारी जिन्होंने कोरोना वायरस संक्रमित शव का दाह संस्कार किया उन लोगों ने दाह संस्कार के समय अपने चेहरों पर मास्क भी नहीं लगाए हुए थे । ऐसा करते हुए उन कर्मचारियों को नगर परिषद तथा पुलिस के अधिकारियों ने भी देखा था । लेकिन गरीब सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य और जीवन की परवाह किसी को नहीं थी। नगर परिषद की और से वहां पहुंचे जूनियर इंजीनियर मनीष शर्मा से दाह संस्कार करने वाले सफाई कर्मियों के द्वारा मास्क तथा ग्लव्ज का उपयोग नहीं करने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने पीपीई किट पिछले 8 घंटे से डाली हुई। जिसके कारण उनके द्वारा एक एक पल खड़े रहना भी बड़ा भारी हो रहा था ।
गौरतलब है कि पलवल तुहीराम कॉलोनी निवासी 54 वर्षीय कपूरचंद गर्ग कि मंगलवार शाम 4:00 बजे मौत होने के बाद डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल में लाया गया था जिसके बाद रात को 2:00 बजे नगर परिषद के सफाई कर्मचारियों को मृतक की लाश का दाह संस्कार करने के लिए बुलाया गया पूरी रात उन्होंने अधिकारियों के आदेश की पालना करने के इन्तजार में बिताई लेकिन बाद में उन्हें दिन निकलने से पहले वापस भेज दिया गया । उसके बाद सुबह 7:00 बजे फिर दाह संस्कार करने के लिए जिला अस्पताल में बुला लिया गया लेकिन दाह संस्कार की प्रक्रिया दोपहर 1:00 बजे जाकर कराई जा सके जिसके कारण गर्मी में पी पी ई किट लगातार सात-आठ घंटे तक पहने रहने से सफाई कर्मियों का बुरा हाल हो रहा था।
दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए से नगर परिषद से गये जूनियर इंजीनियर से सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा तथा मृतक के घर आस-पड़ोस क्षेत्र को सेनिटाइज नहीं किए जाने की बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सैनिटाइज करने का काम करा दिया जाएगा । जबकि कोरोना संक्रमित की मौत मंगलवार को शाम को 4:00 बजे ही हो चुकी थी और पूरे जिला प्रशासन को इसकी जानकारी हो चुकी थी बावजूद उसके मृतक के घर और आस-पड़ोस को सैनिटाइज करने में 24 घंटे निकाल दिए वहीं जिस शमशान घाट पर कोरोना संक्रमित शव का दाह संस्कार किया गया उस शमशान घाट को दाह संस्कार के बाद भी सैनिटाइज नहीं किया गया । इस प्रकार जिला प्रशासन विश्वव्यापी महामारी को रोकने के लिए चाहे जितने दावे करता हो और उस पर चाहे जितने रुपए खर्च कर रहा हो लेकिन धरातल पर जिला प्रशासन के दावों का कहीं मेल नहीं है।
मृतक के पीड़ित परिवार के लोगों का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दोपहर करीब 11:00 बजे तक जिला अस्पताल में हो चुकी थी उसके बाद दो-तीन घंटे तो उन्होंने वहीं पर यहां से वहां भेजने में ही लगा दिए । इससे पहले कि वह कोई उपचार शुरू करते हैं उनकी तबीयत अचानक से बिगड़ गई और जिसके बाद उन्होंने ऑक्सीजन लगाकर अल फलाह मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद भेजा गया था। वहां पर भी उपचार शुरू करते हुए वेंटिलेटर पर डाला ही था कि वहां उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने पर वहां से पीजीआइ रोहतक के लिए रेफर कर दिया गया । जिसके बाद हालत बहुत ज्यादा खराब होने के परिजन मरीज को रोहतक तक ले जाने की बजाय जल्दी ईलाज मिल सके इसके लिए मेट्रो हॉस्पिटल में ले जा ही रहे थे । लेकिन जब तक मेट्रो हॉस्पिटल पहुंचते तब तक कोरोना संक्रमित मरीज कपूरचंद गर्ग की मौत हो चुकी थी। इस सब की जानकारी के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने उनके परिवार के किसी भी सदस्य का बुधवार 1:00 बजे तक कोविड-19 टेस्ट कराने की जहमत नहीं उठाई । इसका जवाब जिला अस्पताल के कार्यकारी सुरेश से मांगा गया तो उन्होंने कहा कि मानवता के तौर पर उनके परिवार को उन्होंने जिला अस्पताल के क्वॉरेंटाइन सेंटर में क्वरेंटाइन नहीं किया था अब परिवार के लोगों को कोरोना टेस्ट के लिए बुला लिया गया है जिनका कोविड-19 सेम्पल कराया जा रहा है। इस प्रकार पलवल में इस तरह की यह कोई पहली गंभीर चूक नहीं है जबकि इससे पहले भी स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन कोविड-19 को लेकर काफी गंभीर चूकें कर चुका है। अब देखने वाली बात होगी कि पलवल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कब जागृत और सचेत होकर काम करना शुरू करेगा।