चंड़ीगढ़, (गुरूदत्त गर्ग)। फरीदाबाद जिले के झाडसेतली गांव में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास वासुदेव कृष्ण जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि किस तरह भगवान ने इंद्र का घमंड चकनाचूर किया।
कथा व्यास ने बताया कि श्री कृष्ण भगवान जी के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षस पूतना को भेजता है। पूतना वेष बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है, लेकिन भगवान श्री कृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं।
उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने के की तैयारी करते हैं। भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला की कथा सुनायी। भगवान इंद्र का अभिमान कैसे टूटा इसके बारे में भी विस्तार से बताया।
कथावाचक वासुदेव कृष्ण जी महाराज ने कहा कि ब्रज में जब लोग भगवन इंद्र की पूजा कर रहे थे तब कृष्ण ने अपने माता पिता से पूछा की इंद्र की पूजा क्यों की जाती है। भगवान के इस प्रश्न पर माता पिता ने कहा की इंद्र की पूजा करने से हमें वर्षा के जल की प्राप्ति होती है। जिससे हम अपना जीवन यापन करते हैं। तभी भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को ऐसा बिल्कुल भी नहीं करने को कहा।

उन्होंने कहा कि यह इंद्र का घमंड है। हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिये जो हमारी गाय को चारा देता है। पर्वत की वजह से जलवायु प्रभावित हो वर्षा का कारण बनती है। कृष्ण की बात मान ब्रजवासी गोवर्धन की पूजा करने लगे, जिससे इंद्र क्रोध में आकर ब्रज में भारी वर्षा करने लगे। आंधी तूफान का कहर मचाने लगे। उसी वक्त कृष्ण ने अपने छोटी उंगुली पे गोवर्धन पर्वत को उठाया और ब्रजवासियों की मदद की।
हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं। इसके बाद ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगने लगते हैं। इस मौके पर समस्त ग्रामवासि मौजूद रहे।