अवतार सिंह भडाना पलवल में किसानों को सम्बोधित करते हुए

 दिग्गज नेता अवतार सिंह भडाना के लाहौर कनेक्शन के मायने क्या हैं ?

पलवल, 30 दिसम्बर(आवाज केसरी) । देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में कांग्रेस पार्टी की तरफ से 4 बार सांसद रहे अवतार सिंह भड़ाना जो अभी तक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से चुने हुए भाजपा विधायक हैं,  का दावा है कि वह किसानों को भगवान की तरह मानते हैं और किसानों के लिए वह भारतीय जनता पार्टी और मोदी को ठोकर मार कर किसानों के बीच में आए हैं। किसानों के सबसे हितैषी और बड़ा नेता बनने की जुगत में अवतार सिंह भडाना का दुश्मन देश के लाहौर से कनेक्शन क्या कहलायेगा ? यह एक बड़ा सवाल है, एक बार फिर लगातार दुसरे दिन भी उन्होंने लाहौर का जिक्र किया । उन्होंने फिर से दोहराया की किसानों की आजादी का यह आन्दोलन लाहौर से चलकर पहुंचा है जिसे अब और ज्यादा मजबूत बनाना है ।

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      हरियाणा में एक बड़बोले नेता के रूप में पहचान रखने वाले गुर्जर समाज के रसूखदार नेता अवतार सिंह भड़ाना चार बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं तीन बार फरीदाबाद से तथा एक बार मेरठ लोकसभा सीट से जीत कर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंच चुके हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर मुजफ्फर नगर के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। लेकिन जल्दी ही उनका मुंह विधानसभा से भंग हो गया और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के टिकट के जोड़-तोड़ में कामयाब नहीं होने पर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस से फरीदाबाद लोकसभा सीट से उन्होंने वर्तमान और पूर्व केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के मुकाबले चुनाव लड़ा और हार गए।

दिग्गज गुर्जर नेता अवतार सिंह भडाना

      यूपी के मीरापुर विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक हैं बकौल अवतार सिंह भडाना वह अपनी तरफ से यूपी विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं लेकिन अवतार विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा भी तक यह कहकर स्वीकार नहीं किया है कि उन्होंने चुनाव भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लडा है, इसलिए जब तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष उन्हें इस्तीफा मंजूर करने के लिए नहीं कहेंगे वह उनका इस्तीफा मंजूर नहीं करेंगे। 

   अवतार सिंह भड़ाना पलवल में राष्ट्रीय राजमार्ग पर अटोंहा चौक पर किसानों के धरने पर 2 दिन शिरकत कर चुके हैं लेकिन यहां पर आंदोलन कर रहे किसानों को संबोधित करते हुए  दोनों दिन साफ तौर पर कहा है कि उनके लिए पार्टियां और दल कोई मायने नहीं रखते हैं, मैं पार्टी और दलों को अपने जूते की ठोकर पर रखता हूँ । और जब एक बार फिर देश के अन्नदाता किसान सबसे बड़ी मुश्किल में है तो वह भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को ठोकर मार कर किसानों के बीच में आकर खड़े हो गए हैं।

अवतार सिंह भडाना धरने पर बैठे किसानों को सम्बोधित करते हुए

     यहां तक कहना तो उनके विचार और विचारधारा हो सकती है लेकिन उनका दुश्मन देश पाकिस्तान के लाहौर कनेक्शन क्या है इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं । लाहौर का जिक्र  उन्होंने सोमवार को भी किसानों को संबोधित करते हुए किया और मंगलवार को भी किसानों को संबोधित करते हुए किया है। अवतार सिंह भड़ाना का कहना है कि किसानों के आंदोलन का झंडा पलवल में आकर गड़ा है वह लाहौर से चलकर आया है। अब जब पलवल में यहां लाहौर से चलकर आया झंडा गड़ा है तो यह सिंघु बॉर्डर से बड़ा आंदोलन होना चाहिए। अवतार सिंह भड़ाना ने कहा कि अब मैं यहां पर आया हूं तो मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सिंघु बॉर्डर में चल रहे मोर्चे से बड़ा मोर्चा यहां पर खड़ा हो, आप और हम अब सिंघु बॉर्डर के मोर्चे से मुकाबला करेंगे और उसके लिए हमें जो कुछ करना है वह करेंगे या फिर मरेंगे। सोमवार के बाद मंगलवार को फिर से दुश्मन देश के लाहौर से का जिक्र किया है।  अब उनका ये लाहौर कनेक्शन क्या कहलाता है यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन 30 जनवरी बुधवार को किसानों के साथ केंद्र सरकार की अंतिम दौर की वार्ता का परिणाम नहीं आया है लेकिन उससे पहले ही दिग्गज राजनेता के द्वारा दिल्ली कूच का आवाहन करना किस दृष्टिकोण को दिखाता है ?

 एक तरफ तो उनका कहना है मुझे किसी जाति और पाल से बांधकर मेरे दायरे को संकुचित मत करो क्योंकि मेरा समूचे हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरा प्रभाव है । लेकिन तालियों की गडगडाहट सुनाई दी तो उन्होने  कहा है जिस दिन दिल्ली कूच होगा उसमें गुर्जरों की संख्या सबसे अधिक होगी। श्री भडाना ने किसान आन्दोलन के लिए 51 लाख रूपये की आर्थिक मदद की सार्वजनिक रूप से घोषणा की है साथ ही उन्होंने मंच से जेनरेटर सेट की जरूरत की घोषणा के बाद बिना घोषणा किये ही दो जेनरेटर सेट किसानों के धरने पर पहुंचा दिए । उनका कहना है कि उनके लिए किसान सबसे बड़े हैं और राजनीतिक पार्टियां और दल कुछ नहीं है और इस समय वह सब कुछ छोड़ छाड़ कर किसानों के हक और  हकूको की लड़ाई के लिए आकर उनके साथ खड़े हुए हैं। इन तथ्यों और ब्यानों से समझा जा सकता है की तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर तमाम विपक्ष किसानों के एक वर्ग से साथ लामबंद है और वे नहीं चाहते है देश में शांति के साथ विकास और प्रगति के पथ पर बढ़ता रहे । राजनेताओं की गतिविधयों को देखा जाए तो उन्हें किसानों की आमदनी और किसानों से कोई लेना –देना नही है । वे चाहते हैं देश में अशांति हो क्योंकि देश का जिस तरह विश्व पटल पर पिछले कई वर्षों से सम्मान लगातार बढ़ रहा है, देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जिनका विश्व के सबसे सम्मानित प्रधानमन्त्री के रूप में कद बढ़ा रहा है, वह विपक्ष को स्वीकार्य नहीं हो रहा है । विपक्ष चाहता है किसान कृषि सुधार बिलों को लेकर आन्दोलन के सहारे विश्व स्तर पर उनकी आलोचना हो।  इस समय जो प्रभाव भारत और भारत के प्रधानमन्त्री नरेंदर मोदी का है उससे देश की तमाम विपक्षी पार्टियां और विश्व के कई देश विचलित हैं, जो चाहते है किसी भी तरह भारत में अशांति हो जिससे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की होने वाली आलोचनाओं के बाद उनके कद को कम किया जा सके।
 

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