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शहर की नम्बर वन रही किस कॉलोनी को लोग अब छोड़ने को मजबूर ?

पलवल की शान रही तुहीराम कॉलोनी की हालत -महीनों से सडकों पर जमा गंदा पानी

पलवल 13 जुलाई (आवाज केसरी ) कुछ वर्ष पहले तक पलवल की सबसे अच्छी रिहायशी कॉलोनियों में शुमार होने वाली श्याम नगर कॉलोनी जो तुहीराम कॉलोनी के नाम से भी पुकारी और जानी जाती है | जहाँ पर बड़ी शिफारिशों पर ही प्लाटों की बिक्री होती थी | आमतौर पर ब्राह्मण तथा अग्रवालों को ही यहाँ मकान बनाने के लिए जमीन मिलती थी | राष्ट्रीय राजमार्ग से चंद कदमों से दूर,  रेलवे रोड तथा मालगोदाम रोड पलवल के मध्य वर्ष 1980 के आसपास जब यह कॉलोनी के काटी/ बसाई जा रही थी तब इस खाली क्षेत्र को नौकरी पेशा लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया था |

             प्रारम्भ से लेकर अंत तक शिक्षक समाज की पहली पसन्द वाली कालोनी बनती जा रही थी | पहले पांच वर्षों में इस कॉलोनी में गिने-चुने ही मकान थे | अगले दस वर्षों में 1985 से लेकर 1995 तक यहाँ पर प्लाट खरीदकर मकान बनाने वालों की रफ्तार सबसे तीव्र रही थी | 1995 से लेकर 2005 के अन्तराल में यहाँ पर जितने भी खाली प्लाट थे ये सभी कई-कई बार बिक चुके थे | इनमें जिन लोगों को मकान बनाने थे उन सभी लोगों ने यहाँ पर मकान बनाकर अपने आपको कई मामलों में गौरवान्वित महसूस किया था | प्रमुख कारण था यहाँ से मुख्य बाजार , बस स्टेंड , रेलवे स्टेशन , अनाज मंडी, सब्जी मंडी आदि के लिए कनेक्टिविटी सबसे अच्छी थी | इस कालोनी से उपरोक्त स्थानों में से कहीं पर भी पैदल जाने में दूरी महसूस नहीं होती थी | मुख्य बाजार मीनार गेट से रेलवे स्टेशन तक तथा कमेटी चौक से मालगोदाम होते हुए रेलवे स्टेशन और अनाज मंडी के लिए हर समय घोड़ा-तांगे और रिक्शा हर समय चलते रहते थे | किसी भी जरुरतमन्द को यहाँ से वहां जाने में कोई दिक्क्त नहीं होती थी| जिसके कारण हर समझदार व्यक्ति अन्य रिहायशी कॉलोनियों से कुछ ज्यादा रेट होने के बावजूद भी यहीं पर प्लाट लेकर मकान बनाने के लिए उत्सुक रहता था |

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तुहीराम कॉलोनी में गंदे पानी से सराबोर रहने वाली नालियां और सडकें

     वर्ष 2005 के बाद से अगले दो तीन वर्षों में  में यहाँ पर जोहड़ और तालाबों में भी कोई प्लाट खाली नही रहा और यह कॉलोनी पूरी तरह भर गई | आमतौर पर शान्त और पर्यावरण की दृष्टि से शुद्द आवोहवा वाली श्याम नगर और तुहीराम कॉलोनी में अब आबादी ने सघन रूप ले लिया अधिकारियों की नक्शे पास करने में घूसखोरी के चलते चहुँओर अतिक्रमण हो गये | हरियाली यहाँ से लगभग समाप्त  हो गई और लोगों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कानूनन 60 से लेकर 66 प्रतिशत की बजाय 100 प्रतिशत निर्माण कर लिए | जिसके कारण पर्यावरण और आवोहवा भी बिगड़ने लगी तो लोगों का मन भी यहाँ से ऊबने लगा है,  ऊपर से घरों के सामने हर समय भरे रहने वाले गंदे पानी से लोगों का बुरा हाल हो गया है |

गंदे पानी से होकर गुजरता हुआ स्कूटर सवार

  इस कॉलोनी में चाहते हुए अथवा न चाहते हुए भी सबसे अधिक अग्रवाल और उसके बाद ब्राह्मण समाज के लोगों ने मकान बनाकर इस कॉलोनी को सुन्दरता और भव्य रूप देने में अपनी अग्रिम भूमिका निभाई | लेकीन  इस मनमोहक और भव्य कॉलोनी को पिछले कुछ वर्षों से ग्रहण लगा दिखाई देता है जिसके लिए स्थानीय प्रशाशन कहीं हद तक जिम्मेवार है | विकास  की दृष्टि से पहले पलवल नगर पालिका और अब नगर परिषद ने यहाँ पर समय समय पर सडकें बनवाई और नालियों का निर्माण किया | लेकिन जब-जब  इन सडकों और नालियों की मरम्मत की बात आई तो यहाँ पर विनाश की लीला शुरू हो गई | सडक की मरम्मत के नाम पर सडकों और रास्तों को हर बार ऊंचा उठा दिया जाता रहा | जिससे मकान नीचे पड़ने लगे , मकानों के नीचा होने पर नालियों से घरेलू गंदे पानी की निकासी अवरुद्ध होती गई | और जब नालियों से गंदे पानी की निकासी नही हुई तो नालियों की सफाई का वह दौर शुरू हुआ जब नालियों को मेनुअल की बजाय जेसीबी से साफ़ कराया जाने लगा | जिससे एक बार तो नाली साफ़ दिखाई देती थी लेकिन अपने पीछे जगह-जगह टूट से रूप में विनाश को छोड़ जाती थी | सौ मीटर नाली साफ़ करने के दौरान दस मीटर नाली टूटन की भेंट चढ़ती रही |

        फिर यह भी समय आ गया जब दोनों और से होने वाले  अतिक्रमण के कारण जेसीबी से भी सफाई करना आसान नहीं रहा | तब समय समय पर क्षेत्र विशेष के लोगों के प्रयासों से अथवा स्थानीय पार्षदों के प्रयासों से नालियों के पुनर्निर्माण से लोगों की गंदे पानी की  तात्कालिक समस्याओं का निदान किया जाने लगा | फिर कमीशन के रूप में अधिकारी और अन्य लोग सौंदर्यीकरण के नाम पर पैसे खाने के लिए बिना जरूरत के भी सडकों- रास्तों तथा नालियों की मरम्मत कराने लगे | जिससे सडकों तथा नालियों का पानी निकासी लेबल बिगडता रहा | कहीं पर सडकें बहुत ऊँची हो गई तो कहीं पर नालियां ऊँची होती चली गई | पार्षद- नेता और अधिकारी ग्रांट लाकर यहाँ पर लगाते रहे अपना कमीशन बनाते रहे लेकिन मूल समस्या और उसके निराकरण पर कभी किसी ने ध्यान नहीं दिया |

             आज गंदे पानी की निकासी ने विकराल रूप ले लिया है | यहाँ पर सीवेज लाइन डाली गई लेकिन कई स्थानों में सीवेज लाइन को मेन लाइन से कनेक्ट भी नही किया और पूरी लाइन कनेक्ट होने के इन्तजार में ही ध्वस्त हो गई | फिर टेंडर छोड़े गये फिर ठेके हुए और खाए जाने वाले पैसे की बन्दरबांट में सीवेज लाइन के पानी निकासी के लेबल /स्तर का गुणवत्ता का ध्यान दिए बिना ही सीवेज लाईनें डाली जाती रही |

सीवेज लाइने होने के बावजूद भी यहाँ इस कॉलोनी में तमाम गलियों में खुली नालियों में ही मल बहता दिखाई देता है | पिछले कुछ वर्षों से इस सबसे सुंदर रही रिहायशी कालोनी में सीवेज और खुली नालियों से हमेशा मल-मूत्र ओवरफ्लो होकर सडकों पर बहता रहता है | ऐसा नही है की लोगों की मुसीबत बनते रहे गंदे पानी की निकासी के प्रयास नहीं किये गये | नालियों और सीवेज की सफाई करके अस्थायी निराकरण भी किये जाते रहे | लेकिन कई बार यह गंदगी कई-कई महीनों तक सडकों में दिखाई देती रहती है | स्थानीय निवासी अरुण कुमार सिंगला,कृष्ण मुरारी गुप्ता, देवीराम गुप्ता ,जयभगवान, सुरेश सिंगला, दुर्गेश शर्मा , एन.के. शर्मा, बिजेंद्र मंगला तथा ओमप्रकाश सिंगला आदि के परिवारजनों का अपने घरों से निकलना और घर से बाहर निकलने पर अंदर जाने के लिए गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है | इनका कहना है इसी हालत को यहाँ पर दो-तीन महीने हो चुके हैं | उनके यहाँ कोई रिश्तेदार और मित्र आने के लिए तैयार नही होता है | चौबीस घंटे घरों में बदबू भरी रहती है | लगभग हर घर परिवार में अब बीमारियों का वास रहता है जिससे दुखी होकर बहुत लोग इस कॉलोनी को छोडकर किसी दूसरी कॉलोनी अथवा सेक्टर में जाना पसंद करने लगे हैं | दबी जुबान में सुनने को मिला की हर तीसरा परिवार नर्क बन चुकी इस कॉलोनी को छोड़कर जाने के लिए मजबूर होकर अपना आशियाना बेचकर जाने के लिए तैयार बैठा है |

 लोगों का यह भी कहना है की प्रदेश की सरकार तो ईमानदार है लेकिन भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारी सरकार के ऊपर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं जो सरकार को बदनाम करने का काम कर रहे हैं | प्रशाशनिक अधिकारी निरंकुश होकर ना तो मंत्रियों और जन प्रतिनिधियों की सुन रहे हैं और ना ही प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री की इच्छाओं और भावनाओं का सम्मान करते हुए अपने जनसेवा के धर्म को निभा रहे हैं | निरंकुश अधिकारी सरकार को गुमराह करके जनता से दूर कर रहे हैं | अधिकारी केवल उस कार्य को करने के लिए तत्पर होते है जहां पर उन्हें कमीशन से रूप में ऊपरी कमाई में हिस्सा मिलता है | उन्हें इससे कोई मतलब नहीं रहता है की विकास के नाम पर लगाये जा रहे धन से स्थानीय निवासियों को दीर्घकालिक लाभ होगा अथवा नहीं | स्थानीय निवासीयों का साफ़- साफ़ कहना है की जब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री भृष्ट अधिकारीयों को निलम्बित करके घर बिठाने का काम शुरू नहीं करेंगे तब तक प्रदेश का भला होना सम्भव ही नहीं है |

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