पलवल,( आवाज केसरी) कोर्निया की बीमारी की वजह से नेत्रहीन लोगों को पुनः नेत्र ज्योति प्रदान करने के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नेहरू दृष्टि योजना के तहत लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करने के लिए पखवाड़ा मनाया जा रहा है, जिसमें पलवल में अभी तक दो सौ दस लोग मृत्योपरांत नेत्रदान के लिए सपथ पत्र दे चुके है। नेत्रदान महादान जागरूकता पखवाड़ा 25 अगस्त से शुरू करके 8 सितंबर तक पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है।
पलवल जिला अस्पताल में नेत्रदान के प्रति लोगों मैं फैली हुई भ्रांतियों को दूर करने के लिए पखवारा मनाया जा रहा है जिसमें लोगों को मृत्यु उपरांत आंखें दान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस दौरान लोगों से नेत्रदान के लिए तैयार हुए लोगों से शपथ पत्र भी भरवाया जा रहा है। यहां पर 240 लोगों के साथ काउंसलिंग की गई है जिनमें से 210 लोगों ने नेत्रदान के लिए अपनी सहमति का पत्र स्वास्थ विभाग पलवल को सौंपा है।
काउंसलर एवम मोटिवेटर- दर्शन का कहना है लोगों में नेत्रदान को लेकर लोगों का कहना और मानना है की यदि उन्होंने आँखें दान कर दी तो अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे । जबकि यह सब पुराने जमाने की बेवकूफाना बातें हैं, विज्ञान की दृष्टि से यह सत्य नही है।
जानकारी के अनुसार खानपान की कमी अथवा कोर्निया पर चोट लग जाने या इंफेक्शन हो जाने से प्रदेश के 8 से 10000 लोग दृष्टि हीनता के मरीज हैं। उनकी तुलना में प्रदेश भर में साल भर में 1000 से 1200 कार्निया ही उपलब्ध हो पाते हैं जो अपेक्षा से काफी कम है, इसी को देखते हुए प्रदेश भर में हर साल नेत्रदान जागरूकता पखवाड़ा 25 अगस्त से 8 सितंबर तक चलाया जाता है।
नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर मनीषा चौधरी ने बताया कि पिछले वर्ष नवंबर में पीजीआईएमएस (रोहतक) ने पलवल जिला अस्पताल में नेत्र संग्रह केंद्र को अनुमति प्रदान की थी। जिसके बाद मार्च में एक युवा लड़के की मौत के बाद यहां पर नेत्रदान हुआ था, लेकिन उसके बाद लॉक डाउन हो जाने के कारण कोई नेत्रदान नहीं हो सका है हालांकि पलवल में कई स्वयंसेवी संस्थाएं नेत्रदान का कार्य बखूबी करा रही है। उन्होने बताया की नेत्रदान पखवाड़े की सफलता के लिए हमारे एम एस और सीएमओ दोनों प्रयासरत हैं।