Home ताज़ा खबरें क्या है टिड्डी दल, कहां से आया और कितना नुकसान पहुंचा सकता...

क्या है टिड्डी दल, कहां से आया और कितना नुकसान पहुंचा सकता है, जानें सबकुछ

What is grasshopper team, where did it come from and how much damage can it cause, know everything

क्या है टिड्डी दल, कहां से आया और कितना नुकसान पहुंचा सकता है, जानें सबकुछ

नई दिल्ली, 28 मई । देश में कोरोना वायरस महामारी के बीच एक और नई समस्या आफत बनकर सामने आई है। दरअसल, पाकिस्तान से राजस्थान होते हुए टिड्डी दल ने भारत के कई राज्यों पर धावा बोल दिया है। टिड्डियों के इस दल ने पंजाब, राजस्थान और मध्यप्रदेश में फसलों को तबाह कर दिया है। साथ ही टिड्डी दल का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि यह टिड्डी दल आखिर आया कहां से और यह कैसे देश में फसलों को बर्बाद कर रहा है। 

[the_ad id='25870']

विज्ञापन

पाकिस्तान के रास्ते टिड्डियों का दल भारत पहुंचा है 

पिछले 20 वर्षों से भारत में टिड्डियों का हमला होता रहा है। पिछले साल भी इसने भारत में भारी नुकसान पहुंचाया था। देश में अब तक सबसे बड़ा टिड्डियों का हमला साल 1993 में हुआ था। बाद के वर्षों में इससे बड़ी संख्या में टिड्डियों का दल आता रहा है, लेकिन सरकार की मुस्तैदी की वजह से नुकसान ज्यादा नहीं हुआ। इस बार ये टिड्डियां ईरान के रास्ते पाकिस्तान से होते हुए भारत पहुंची हैं। सबसे पहले इन्होंने पंजाब और राजस्थान में फसलों को नुकसान पहुंचाया और अब यह दल झांसी पहुंच गया है। 

दुनिया की सबसे खतरनाक कीट होती हैं टिड्डियां

दुनियाभर में टिड्डियों की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन भारत में केवल चार प्रजाति ही मिलती हैं। इसमें रेगिस्तानी टिड्डा, प्रव्राजक टिड्डा, बंबई टिड्डा और पेड़ वाला टिड्डा शामिल हैं। इनमें रेगिस्तानी टिड्डों को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। ये हरे-भरे घास के मैदानों में आने पर खतरनाक रूप ले लेते हैं। कृषि क्षेत्राधिकारियों के अनुसार, रेगिस्तानी टिड्डों की वजह दुनिया की दस फीसदी आबादी का जीवन प्रभावित हुआ है। 

कई देशों में बड़े चाव से टिड्डियों को खाया जाता है

कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि किसी भी प्रकार के टिड्डे इंसानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और ना ही उन्हें काटते हैं। लेकिन इनसे सावधानी बरतना जरूरी है। ये केवल फसलों और पौधों का शिकार करते हैं। वहीं, दुनिया के कई देशों में इन टिड्डों को भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वियतनाम, ब्राजील और कंबोडिया जैसे देशों में इन्हें बड़े चाव के साथ खाया जाता है। 

ऐसे पनपती हैं टिड्डियां

टिड्डियों के भारी संख्या में पनपने का मुख्य कारण वैश्विक तापवृद्धि के चलते मौसम में आ रहा बदलाव है। विशेषज्ञों ने बताया कि एक मादा टिड्डी तीन बार तक अंडे दे सकती है और एक बार में 95-158 अंडे तक दे सकती हैं। टिड्डियों के एक वर्ग मीटर में एक हजार अंडे हो सकते हैं। इनका जीवनकाल तीन से पांच महीनों का होता है। नर टिड्डे का आकार 60-75 एमएम और मादा का 70-90 एमएम तक हो सकता है।

नमी वाले क्षेत्रों में खतरा सबसे ज्यादा

दिल्ली स्थित यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के मोहम्मद फैजल के मुताबिक सबसे खतरनाक माने जाने वाले रेगिस्तानी टिड्डे रेत में अंडे देते हैं, लेकिन जब ये अंडों को फोड़कर बाहर निकलते हैं, तो भोजन की तलाश में नमी वाली जगहों की तरफ बढ़ते हैं। इससे नमी वाले इलाकों में टिड्डियों का खतरा ज्यादा होता है। 

एक दिन में 35,000 लोगों के पेट भरने लायक भोजन को चट कर सकती हैं टिड्डियां

संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार रेगिस्तानी टिड्डों की रफ्तार 16-19 किलोमीटर प्रति घंटे होती है। हवा की वजह से इनकी रफ्तार में बढ़ोतरी भी हो जाती है। इस तरह ये एक दिन में 200 किमी का सफर तय कर सकती हैं। ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, एक वर्ग किलोमीटर में फैले दल में करीब चार करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो एक दिन में 35,000 लोगों के पेट भरने लायक भोजन को चट कर जाती है।

इस कारण उत्पन्न हुई है वर्तमान स्थिति

टिड्डियों को लेकर जारी हुई नई रिपोर्टों में कहा गया है कि इनकी तादाद और हमले बढ़ने के पीछे की एक मुख्य वजह बेमौसम बारिश भी होती है। पिछले एक साल के दौरान, भारत और पाकिस्तान समेत पूरे अरब प्रायद्वीप में बेमौसम बारिश होती रही है। इस कारण नमी की वजह से ये तेजी से फैलती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, पहले प्रजजन काल में टिड्डियां 20 गुना, दूसरे में 400 और तीसरे में 1,600 गुना तक बढ़ जाती हैं।

कितना नुकसान पहुंचा सकती हैं टिड्डियां

दो महीने पहले जब टिड्डियों के दल ने भारत पर हमला बोला तो गुजरात और राजस्थान में 1.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी तेल बीज, जीरे और गेहूं की फसलों को नुकसान पहुंचा था। विशेषज्ञों ने बताया कि यदि टिड्डियों पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो आठ हजार करोड़ रुपये की मूंग की फसल बर्बाद हो सकती है। 

टिड्डियों से ऐसे निपटा जा सकता है

विशेषज्ञों ने बताया कि टिड्डी के हमलों से बचने का सबसे बेहतर तरीका नियंत्रण और निगरानी है। इसके अलावा कीटनाशक का हवाई छिड़काव किया जा सकता है, लेकिन भारत में इस सुविधा का अभाव है। इसी प्रकार टिड्डियों के अंडों को पनपने से पहले नष्ट किया जा सकता है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here