पलवल 17 जून। (आवाज केसरी) पलवल जिला अस्पताल में एक बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है त्रिपुरा से आए हुए एक विशेष मरीज को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर बिना कोविड-19 टेस्ट कराए ही उसे लगातार 10 दिन तक इमरजेंसी वार्ड में ही भर्ती किए रखा । और जब उसका टेस्ट कराया गया तो वह संक्रमित निकला ,तब तक 2 दिन और निकल चुके थे। और फिर जब उसकी कोविड 19 टेस्ट रिपोर्ट संक्रमित यानी पॉजिटिव निकली तो पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया। सबसे ज्यादा हड़कंप इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों में देखा गया। रिपोर्ट पोजिटिव आने के बाद इमरजेंसी वार्ड के स्पेशल हाल को बंद कर गया | लेकिन तमाम इमरजेंसी स्टाफ से रोस्टर के अनुसार लगातार ड्यूटियां कराई जाती रही ।
पलवल जिला अस्पताल में 3 जून को त्रिपुरा से आए प्रशांता नाम के एक पेशेंट को भर्ती किया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 31 वर्षीय मरीज प्रशांता को दिमाग की बीमारी थी जिसे त्रिपुरा से लेकर दिल्ली और गुड़गांव तक पूरे देश में किसी को हॉस्पिटल में भर्ती नहीं किया गया था। सिविल सर्जन डॉ ब्रह्मदीप सिंह यहाँ पर उसका इलाज कर रहे थे।
इलाज किया जाना बहुत अच्छी बात है लेकिन कोरोनावायरस को लेकर केंद्र सरकार तथा प्रदेश सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन ना करके यहां पर बहुत बड़ी भूल सिविल सर्जन डॉक्टर ब्रहम दीप सिंह द्वारा की गई|
नियम के अनुसार किसी दूसरे प्रांत से आए हुए व्यक्ति का कोविड-19 टेस्ट कराया जाना परम आवश्यक था लेकिन इस विशेष मरीज का यहां पर कोविद टेस्ट नहीं कराया गया । और यही नहीं, यहां पर एक और बड़ी लापरवाही देखने में आई जिसके अनुसार वह मरीज 3 जून से लेकर 14 जून तक पलवल जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ही रखा गया जबकि इमरजेंसी वार्ड में किसी भी मरीज को केवल 2 से 3 घंटे तक ही रखा जाता है तो उस विशेष मरीज को इमरजेंसी वार्ड में इतने लंबे अरसे तक रखा जाना भी काफी संदेहास्पद है।
इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी देने वाले स्टाफ नर्स डॉक्टर सफाई कर्मचारी तथा फोर्थ क्लास के बार बार कहने के बाद 12 जून को इस मरीज का कोविड-19 टेस्ट के लिए सैंपल लेकर भिजवाया गया जिसकी 14 जून को रिपोर्ट आई तो वह पॉजिटिव निकला और जब प्रशांत नाम के इस त्रिपुरा निवासी मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो पूरे हॉस्पिटल में हड़कंप मच गया । सबसे ज्यादा डर का माहौल इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी देने वाले स्टाफ नर्स ,डॉक्टर, फोर्थ क्लास तथा सफाई कर्मियों में देखा गया जो लगातार 12 दिन तक इस मरीज के किसी न किसी तरह से इस मरीज और उसके साथ आये परिजनों के संपर्क में आते रहे थे । और यही नहीं इस दौरान इमरजेंसी वार्ड में और भी सैकड़ों मरीजों को इस संक्रमित मरीज के साथ रखा गया था जिसके कारण संभावनाएं जताई जा सकती है कि इस कोविड 19 के संक्रमित मरीज के द्वारा दूसरे और मरीजों में भी संक्रमण जरूर फैला होगा।
लापरवाही की हद यहीं पर समाप्त नहीं हुई, 14 तारीख को प्रशांता का नाम के इस मरीज तथा उसके साथ रहे दो अन्य लोग जिनमें उसकी मां तथा भाई भी है , इन दोनों की कोविड 19 टेस्ट रिपोर्ट पोजिटिव पाई गई है | इन सभी की कोविड-19 पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद ही इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी देने वाले नर्सिंग स्टाफ , फोर्थ क्लास तथा सफाई कर्मचारियों का कोविड-19 टेस्ट के लिए सैंपल तो ले लिया गया लेकिन उनसे ड्यूटी लगातार कराई जाती रही जो 16 जून शाम तक जारी रही | इमरजेंसी वार्ड में भर्ती रहे त्रिपुरा निवासी कोरोना की पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आने से यदि दो या चार कर्मचारी भी संक्रमण की चपेट में आ गए हों तो इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता, कि जिन लोगों का इन स्वास्थ्य कर्मियों ने उपचार किया है वह लोग भी संक्रमण की चपेट में नहीं आए होंगे। कर्मचारियों में संक्रमण फैलने के बाद कम्प्यूटर ओपरेटर, रजिस्ट्रेशन क्लर्क तथा बिना पीपीई किट लगाये एक्सरे करने वाले कर्मचारी तथा ईसीजी करने वाले को भी संक्रमण हो सकता है |
फोर्थ क्लास कर्मचारी मोहनदत्त ने बताया कि 16 तारीख की शाम को उसके पास जिला उपायुक्त कार्यालय से फोन आया था , उससे पूछा गया था कि वह कहां पर है जब उसने बताया कि वह ड्यूटी पर है तो उसे कहा गया था कि वह ड्यूटी पर क्यों है उसका तो कोविड टेस्ट हुआ है उसे क्वारंटाइ सेंटर में होना चाहिए था या फिर घर पर होना चाहिए था। बताया कि इसी प्रकार और भी अन्य कर्मचारियों के पास भी जिला उपायुक्त कार्यालय से इसी तरह का फोन पहुंचा था।
पलवल सीनियर डॉक्टर एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय शर्मा ने बताया कि मेरी जानकारी में आया है की त्रिपुरा से आये प्रशांता नाम के मरीज को इमरजेंसी में वार्ड में अनाधिकृत रूप से रखा गया था। जो कोविड-19 पॉजिटिव निकला है। उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पूरे हॉस्पिटल में डर का माहौल है इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी देने वाले डरे हुए हैं मेरी जानकारी मैं भी आया है। वास्तव में अस्पताल के अंदर बहुत बड़ी चूक की गई ऐसा नहीं होना चाहिए था ।