पलवल, 04 सितंबर।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल के उपनिदेशक डा. महावीर सिंह ने बताया कि राज्य में लगभग 7.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती की जाती है। इसका 80 प्रतिशत क्षेत्र मुख्यत: सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जीन्द, भिवानी व दादरी जिलों में बिजाई होता है। जिला पलवल में लगभग 23 हजार 500 हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती की जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों व विभाग के अधिकारियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करने उपरांत पाया कि हल्की जमीन जहां पर पर्याप्त वर्षा नहीं हुई, खाद प्रबंधन की कमी, सफेद मक्खी के अनुकूल वातावरण व बिना सिफारिश के कीटनाशकों का मिक्षित प्रयोग कराने से कपास की फसल में कीट व बिमारी का प्रकोप ज्यादा बढा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बताई गई सिफारिशों के अनुसार अपनी कपास की फसल पर छिडकाव करें तथा अधिक जानकारी के लिए निकटतम कृषि एंव किसान कल्याण विभाग पलवल के दूरभाष नंबर-01275-248920 व कृषि विज्ञान केंद्र मंडकोला के कार्यालय में संपर्क करें।
उपनिदेशक ने बताया कि हल्की मिट्टïी में उगाई गई कपास में उपयुक्त पोषक तत्व प्रबंधन के लिए पत्तों पर 2 किलो 500 ग्राम यूरिया प्रति 100 लीटर पानी या पोटैशियम नाईट्रेट (13-00-45) की 2 किलोग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी की दर से प्रति एकड आवश्यकतानुसार 2-3 बार छिडकाव करें।
सफेद मक्खी के लिए स्पाईरोमेसिफेन (ऑबरोन) 22.9 एस.सी. की 240 मिलीलीटर मात्रा या नीम आधारित कीटनाशक (निम्बिसीडीन/अचूक) की एक लीटर मात्रा या पाइरीप्रोक्सीफेन (डायटा) 10 ई.सी. की 400 मिलीलीटर मात्रा को 200-250 लीटर पानी की दर से एक एकड में आवश्यकतानुसार बारी-बारी से पौधों पा निचली पत्तियों तक छिडकाव करें। यदि कपास के पत्ते ज्यादा काले दिखाई दें तो कॉपर ऑक्सिक्लोराइड की 600 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी की दर से छिडकाव करें।
पेराविल्ट बिमारी के संभावित इलाकों में कोबाल्ट क्लोराइड की दो ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी की दर से एक एकड में लक्षण दिखाई देने के 24 से 48 घंटों के अंदर छिडकाव करें। उन्होंने बताया कि जहां सिंचाई या बारिश के बाद ज्यादातर पौधे मुरझा जाते हैं तो उन क्षेत्रों में इस बिमारी की संभावना होती है।
कपास में कीट व बिमारी प्रबंधन पर क्या बोले कृषि विभाग अधिकारी ?
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