चंड़ीगढ़,(आवाज केसरी) । भारत में हर रीति-रिवाज और परंपराओं का अपना एक महत्व है, और ये हर किसी की अपनी आस्था का सवाल है। लेकिन माना जाता है कि हिंदू धर्म में कई ऐसे रीति-रिवाज हैं जिनके वैज्ञानिक आधार हैं और ये सदियों से चले आ रहे हैं।
हाथ जोड़कर नमस्कार करना
हमारी परंपरा में हाथ जोड़कर नमस्कार करना प्राचीन परंपरा और सभ्यता है। हाथ जोड़कर किसी को सम्मान दने के साथ शारीरिक लाभ भी होता है वैज्ञानिक तौर पर जब हम अपना दोनों हाथ जोड़ते हैं तो हथेलियों और उंगलियों के उन बिंदूओं पर दबाव पड़ता है जो कि आंख, नाक कान दिल आदि से सीधा संबंध रखते हैं। इस तरह के दबाव को एक्वा प्रेशर चिकित्सा भी कहते हैं।
पैर की उंगली में रिंग पहनना
हमारे देश में पैर की उंगली में रिंग पहने की परंपरा है जिसे सांस्कृतिक कहा जाता है लेकिन इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। अमूमन रिंग को पैर के अंगूठे के बगल वाली दूसरी उंगली में पहनते है। इस उंगली की नस महिलाओं के गर्भाश्य और दिल से संबंधित होता है। इसलिए इस उंगली में रिंग पहनने से इससे संबंधित बीमारियों के होने का खतरा नहीं रहता। चांदी के रिंग पहनने से शरीर उर्जावान बना रहता है।
दोनों भौहों के बीच माथे पर तिलक लगाना
माथे के बीच तिलक लगाने से उस बिंदू पर दबाव पड़ता है जो हमारे तंत्रिका तंत्र का सबसे खास हिस्सा माना जाता है। तिलक लगाने से इस खआस हिस्से पर दबाव पड़ते ही ये सक्रिय हो जाता है। और शरीर में नई उर्जा का संचालन होने लगता है।
मंदिर में घंटे या घंटियां लगाना
घंटे की आवाज कानों में पड़ते ही आध्यात्मिक अनुभूति होती है। इससे एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है। और मन शांत हो जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि घंटा का आवाज बुरी आत्माओं और नकारात्मकता को दूर करती है। घंटे की आवाज भगवान को प्रिय होती है।
मेंहदी लगाना
मेंहदी औषधीय गुणों से युक्त प्राकृतिक जड़ी बूटी है। मेंहदी की महक से तनावमुक्त होने में मदद मिलती है। यही वजह है कि शादियों या अन्य भारतीय कार्यक्रमों में मेंहदी लगाना अहम परंपरा है।
जमीन पर बैठकर भोजन करना
शुरू से ही भारतीय परंपरा में जमीन पर बैठकर खाते आ रहे हैं। इसका वैज्ञामिक कारण है कि जब हम जमीन पर पैर मोड़कर बैठते हैं तो इस अवस्था को सुखासन या अर्ध पदमासन कहते हैं। इस प्रकार बैठने से दिमाग की उन धमनियों को सकारात्मकता संदेश मिलता है जो पाचन तंत्र से जुड़ी होती है।
सूर्य नमस्कार
भारतीय लोग सूर्य को पानी से अर्घ्य देकर नमस्कार करते हैं। पीनी से टकराकर सूर्य की किरण आंखों में पड़ने के कारण आंखों की बीमारियां नहीं होती है।
पैर छूना
पैर छूना या चरण स्पर्श करना एक प्रकार की सम्मान दर्शाने वाली क्रिया है। जब हम झुककर प्रनाम करते हैं तो हमारे शरीर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।