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आवाज केसरी की खबर असर : कबाड़ में डाली गई दवा को जिला स्वास्थ्य विभाग ने वहां से उठाया

खाली हुआ वह स्थान जहां रखी गई थी दवाई

 

पलवल 25 जून (आवाज केसरी) । जिला अस्पताल में पिछले दिनों देखने में आया था कि लाखों रुपए की दवाई को कबाड़ में डाला हुआ था। आवाज केसरी द्वारा इस खबर को प्रमुखता से उठाए जाने के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग ने उसे दवाई को आनन फानन वहां से उठवा दिया था।  अब देखने की बात यह होगी कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दवाई को  रोगियों को देने से पहले किसी प्रयोगशाला में उसकी  गुणवत्ता की जांच कराई जाती है या नहीं। 

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गर्मी और धूप में रखी दवाइयों का फ़ाइल फोटो

   गौरतलब है कि पलवल जिला अस्पताल की वर्षों पूर्व कंडम घोषित की गई  बिल्डिंग में  जिसमें  इन दिनों मलेरिया विभाग का कीट नाशक आदि दवाइयों का गोदाम बनाया हुआ है । उसी बिल्डिंग के बरांडे में खुले में लाखों रुपए की आयरन एंड फोलिक एसिड नाम की सिरप को बहुत खराब हालात में कबाड़ की तरह डाला हुआ था। जबकि इस सिरप को किसी ऐसे स्थान पर रखा जाना जरूरी था जिसका टेंपरेचर हमेशा 30 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए था। वह स्थान ठंडा और अंधेरे वाला होना चाहिए था।  ।  इससे ज्यादा टेंपरेचर मैं रखे जाने पर यह दवाई निष्प्रभावी हो जाती है। यही नहीं सूर्य की रोशनी  के सीधे संपर्क में आने पर भी है दवाई निष्प्रभावी हो जाती है।

  जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस दवाई को धूप के सीधे संपर्क में आने वाले और करीब 45 डिग्री सेल्सियस है तापमान वाले स्थान से तो इसको हटा लिया है, लेकिन देखने वाली बात यह है की इस दवाई को मरीजों तक पहुंचाने से पहले इसकी गुणवत्ता की जांच कराई जाती है या नहीं। यदि किसी प्रयोगशाला में उसकी गुणवत्ता की जांच कराए जाने से पहले रोगियों तक इस दवाई को पहुंचाया जाता है तो ना केवल रोग बढ़ सकता है बल्कि मरीजों का स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है । और यदि समय पर उपयुक्त गुणवत्ता वाली दवाई नहीं मिलने से रोगी की मौत होती है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।

कबाड़ में पड़ी दवाइयों का फ़ाइल फोटो

 इस संबंध में स्वास्थ विभाग के अधिकारियों से जानने का प्रयास किया उन्होंने गोलमोल उत्तर देते हुए कहा कि अभी 2 दिन पहले ही यह दवाई आई थी और ट्रक से उतारने के बाद यहां पर अस्थाई तौर पर रख दिया गया था ,क्योंकि इसे जिले के अलग-अलग पीएससी तथा  डिस्पेंसरीयों में भेजा जाना था। और किसी ने ट्रक से उतारते किसी ने फोटो खींच ली हो सकती है । लेकिन जब बात निकली है तो यह जानना भी जरूरी है कि स्वास्थ विभाग के प्रदेश स्तरीय सेंट्रल स्टोर से उक्त दवा को पलवल कब भेजा गया था- यह भी जांचा जाना जरूरी है। देखने वाली बात होगी कि अब रोगियों की सेहत से खिलवाड़ करने वाली गलती को छुपा कर दूसरों पर दोषारोपण करने वाले अधिकारियों अथवा कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है या नहीं।

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