पलवल, (आवाज केसरी) वैदिक धर्म प्रचारिणी सभा के प्रवक्ता स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती ने कहा कि पृथ्वी और आकाश के बीच के क्षेत्र में जो महा-विनाशकारी पर्यावरण प्रदूषण की समस्या है वह न तो भगवान ने पैदा, न प्रकृति ने और अपने आप उत्पन्न हुई है। यह स्थिति हमने ही अज्ञान, स्वार्थ, आलस्य, प्रमाद आदि के कारण पैदा की है और इसका समाधान भी हमारे पास है, स्वामी श्रद्धानन्द ने ये विचार पृथला में आयोजित देवयज्ञ के अवसर पर व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने के लिए समस्त बुद्धिजीवियों को वेदमंत्रों से नित्य प्रति श्रद्धापूर्वक यज्ञ करना चाहिए । उन्होंने बताया कि यज्ञ से निकली गैसें आसपास में विद्यमान वृक्षों और वनस्पतियों को इतना प्रभावित करती हैं कि वे भविष्य में भी उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को सोख लेने में सक्षम हो जाते हैं। स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती ने बताया कि वाहनों व कल कारखानों द्वारा उत्पन्न हुई हजार गुणा प्रदूषित वायु को, यज्ञ के द्वारा व वृक्ष लगाकर शुद्ध किया जा सकता है जैसे एक तोला हींग को पीस कर घी के साथ गर्म करके दाल में छौंक देने से एक क्विंटल दाल को सुगन्धित किया जा सकता है वैसे ही एक छटाँक घी की अग्नि में आहुति से वातावरण को शुद्ध किया जा सकता है। इस अवसर पर किशनसिंह आर्य, धर्मपाल तंवर, राजपाल दहिया, नरेन्द्र शास्त्री, उदयवीर आर्य, अमरसिंह आर्य, ओमवीरसिंह आदि मौजूद थे।