पलवल,(आवाज केसरी) पलवल के हथीन उपमंडल के गांव अकबरपुर नाटोल के सैकड़ों लोग जिला मुख्यालय पर आकर अपने गांव की अलग से नई पंचायत बनाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए । इन लोगों को कहना है कि जब तक उनके गांव की अलग पंचायत नहीं बनेगी तब तक लोग अपने घर गांव वापस नहीं जाएंगे। पीछे से चाहे उनके पशु मर जाए या बच्चे , हम अलग पंचायत का आदेश यहां से लिए बिना अपने गांव वापस नहीं लौटेंगे।
देश की आजादी के बाद कई छोटे- छोटे गाँवों को मिलाकर एक ग्राम सभा अथवा पंचायत बनाई जाती रही है | जैसे -जैसे गाँवों की आबादी और आकर बढे उनकी ग्राम पंचायतें भी अलग बनाई जाती रही | कुछ समय तक पलवल के हथीन के गाँव बिघावली,अकबर पुर नाटोल तथा रीबड़ गाँवों की संयक्त पंचायत हुआ करती थी । रीबड़ गाँव को लग किये जाने के बाद अभी भी बिघावली और अकबरपुर नाटोल गाँवों की संयुक्त पंचायत चली आ रही है| लेकिन पिछले करीब छः- सात वर्षों से इस गाँव के लोग अपनी अलग पंचायत की मांग कर रहे हैं लेकिन इनकी मांग अभी सिरे नहीं चढ़ पाई है ।
ग्रामीणों का कहना है कि आजादी से लेकर अब तक अकबरपुर नाटोल गांव का एक बार भी सरपंच नहीं बना है। जिसके कारण गाँव में जितना और जो विकास होना चाहिए थी वह नहीं हो पाया है । हर बार बिघावली गांव से ही सरपंच बनते रहे है। इनके अनुसार बिघावली के लोग अकबरपुर नाटोल गांव एवं यहां के लोगों के संशाधनों का दोहन करते आ रहे है। अकबरपुर नाटोल गांव में कोई भी विकास का कार्य ऐसा नहीं हुआ जो होना चाहिए था । जिसके बारे में कहा जाए की कोई विकास कार्य किसी भी सरपंच ने कराया है । गाँव के गलियां और तमाम रास्ते और और सडकों की हालत बहुत खराब है। अकबरपुर नाटोल गांव दलित वर्ग का गांव है , यहां पर साढे सात सौ वोटर है, इस गांव में एक भी परिवार स्वर्ण अथवा उच्च वर्ग का नहीं है। जबकि बिघावली गांव जिसमें करीब बारह सौ वोट में जिनमें 70 प्रतिशत वोटर सवर्ण जातियों से संबंध रखते हैं। बाकी परिवार दलित एवं अन्य जातियों के लोग है

सीटीएम ने बताया की अकबरपुर नाटोल गांव के लोग बिघावली ग्राम पंचायत से अपनी अलग पंचायत की मांग को लेकर आये थे। ये लोग चाहते हैं उनकी अलग पंचायत हो, मैंने उनको आश्वासन दिया है कि हम अपने स्तर पर इतना कुछ कर सकते हैं गांव की पंचायत को अलग करने के लिए अवश्य करेंगे । इसके लिए एसडीएम को बोल दिया गया है ,बाकी अंतिम फैसला सरकार का ही होगा।

गांव की महिला पहलादी निशा और कविता आदि ने कहा कि वे पिछले पांच -छ वर्षों से अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन क्योंकि वह दलित वर्ग से संबंध रखते हैं इसलिए उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। वे चाहते हैं कि दलित वर्ग का गांव होने के कारण उनके गांव की अलग पंचायत बनाई जाए, वैसे भी सरकार के नियमों के अनुसार गांव में 700 से अधिक वोटर हैं लेकिन स्वर्ण जाति के लोगों के राजनीतिक दबाव के चलते हमारी गांव की पंचायत को अलग नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे गांव की पंचायत को बिघावली गांव से अलग नहीं किया जाएगा तब तक वहां पर धरना देते रहेंगे। चाहे कि उसके लिए कितने भी दिन यहां पर बैठना क्यों ना पड़े। महिलाओं ने कहा कि पीछे से हमारे घरों पर चाहे पशु मर जाएं या बच्चे हम यहां से बिल्कुल नहीं जाएंगे। तब तक हमारा यहीं पर धरना चलता रहेगा।
अलग ग्राम पंचायत की मांग को लेकर कि उन्होंने सीटीएम दिनेश को ज्ञापन दिया। सीटीएम ने बताया कि अकबरपुर नाटोल गांव के लोग बिघावली ग्राम पंचायत से अपनी अलग पंचायत की मांग को लेकर आये थे। ये लोग चाहते हैं उनकी अलग पंचायत हो, मैंने उनको आश्वासन दिया है कि हम अपने स्तर पर इतना कुछ कर सकते हैं गांव की पंचायत को अलग करने के लिए अवश्य करेंगे, बाकी अंतिम फैसला सरकार का ही होगा।