पलवल, (आवाज केजरी) ब्रह्मांड के सबसे बड़े शिल्पी और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा जयन्ती के अवसर पर पलवल सुगर मिल में हवन-यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हर उस हाथ को प्रणाम, जो देश और मनुष्यता के लिए श्रम कर रहा है। भगवान विश्वकर्मा की कृपा, लोकमंगलकारी सर्जन और नवनिर्माण के लिए कर्मरत हर हाथ को शक्ति, सद्बुद्धि और ऊर्जा दे। लेकिन बहुधा हम श्रम करते और मैदानों-खलिहानों में साधनारत उसके देवताओं का तो उल्लेख करते हैं किंतु खेतों में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर हँसिया चला रहीं स्वेदाँकित ललाट वाली हमारा माँओं, जंगलों में वन्यउपज का घूम-घूमकर संग्रह करती हमारी बहनों, घर-आँगन बुहारती हमारी भाभियों और नितांत अक्षम हो जाने पर भी आँगन में चारपाई डाल जवे तोड़ती, सूत कातती, डलिया बनातीं हमारी दादियों का उल्लेख छोड़ देते हैं ! आज विश्वकर्मा जी के पूजन के पल में उनकी बेटियों को सादर प्रणाम सहित अर्पित है महाप्राण की आँखों से देखा और उनकी अमर कर्णिका से उतरा वह श्रमराग जो न केवल हिंदी अपितु विश्व की धरोहर है।
पलवल सुगर मिल में श्रीविश्वकर्मा जयन्ती मनाई गई
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