Home ताज़ा खबरें संस्कृत भाषा से मानवमात्र को मिलते हैं संस्कार : आचार्य राजेश

संस्कृत भाषा से मानवमात्र को मिलते हैं संस्कार : आचार्य राजेश


पलवल, (आवाज केसरी)। हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ बघौला में एक संगोष्ठी हुई का आयोजन किया गया। जिसमें पूर्व छात्र आचार्य राजेश ने कहा कि संस्कृत देवताओं की वाणी है। संस्कृत केवल एक भाषा  मात्र ही नहीं अपितु एक विचार है, संस्कृति और संस्कार भी है। कोई भी देश या समाज अपने सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजे बिना उन्नति नहीं कर सकता। संस्कृत भाषा हमारी महान संस्कृति और संस्कारों की आधारशिला है।उन्होंने कहा कि संस्कृत पढ़ने से व्यक्ति अपने जीवन के साथ दूसरों को भी संस्कारित करता है।सभी देशों के नाम से कोई न कोई भाषा जुड़ी हुई है। हिंदी से हिंदुस्तान, जापान से जापानी, जर्मनी से जर्मन, चीन से चीनी भाषा। संस्कृत किसी देश के नाम से नहीं जुड़ी है, मानव मात्र के कल्याण के लिए संस्कृत भाषा है। “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः  सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग् भवेत्” का संदेश पूरी दुनिया को दिया है। देश की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए संस्कृत का पठन-पाठन अत्यंत जरूरी है।आचार्य राजेश ने कहा कि हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ बघौला हरियाणा में प्राचीनतम विद्यापीठ है। इस विद्यापीठ से हजारों छात्र शास्त्री, आचार्य पास कर देश के कोने कोने में देश की सेवा कर रहे हैं। इस गौरवान्वित संस्था से दो सांसद श जिनमें सुरेशानंद भूतपूर्व सांसद एवं वर्तमान सांसद डॉ सच्चिदानंद साक्षी महाराज भी भारतीय संसद में पहुंचकर इस विद्यापीठ का नाम रोशन किया है। वर्तमान में यह विद्यापीठ राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जनकपुरी संबद्धता प्राप्त है। संगोष्ठी में आचार्य राजेश ने कहा संस्कृत को पढ़ने और सीखने का सुनहरा अवसर इस विद्यापीठ ने दिया है। इस संगोष्ठी में मुख्य रूप से प्रभारी प्राचार्य पशुपतिनाथ मिश्र, रंजना गुप्ता, ऊषा पाराशर, भीम कुमार पाठक, मदनमोहन शर्मा, रामबीर  एवं नरेंद्र आर्य उपस्थित रहे।

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