चंड़ीगढ़, (आवाज केसरी ) । सदी का दूसरा सबसे दुर्लभ सूर्य ग्रहण का अनोखा नजारा हरियाणा में भी देखने को मिला। इस दौरान आकाश में सूर्य का घेरा रिंग की तरह बनता हुआ दिखाई दिया। हरियाणा के कुरूक्षेत्र, सिरसा और यमुनानगर में रिंग ऑफ फायर का नजारा देखने को मिला। यहां सूरज एक अंगूठी के आकार में बदल गया। आइए देखते हैं इस दुर्भल खगोलीय घटना की तस्वीरें…
कई मायनों में अनूठा है आज का सूर्य ग्रहण
आज का सूर्य ग्रहण कई मायनों में बेहद अनूठा है। आर्यभट्ट प्रेक्षण एवं शोध संस्थान के अनुसार यह ग्रहण वलय रुप में उत्तर भारत में सिर्फ 21 किमी चौड़ी एक पट्टी में ही नजर आएगा। अन्य जगहों पर यह आंशिक ग्रहण की तरह ही दिखेगा। वलय की अधिकतम अवधि मात्र 38 सेकंड रहेगी। इस सदी के बीते 20 वर्षों में भारत से 5 सूर्यग्रहण जो 2005, 2006, 2009, 2010, 2019 में नजर आए। जो बात इस ग्रहण को बेहद दुर्लभ बनाती है वह यह है कि इसके बाद भारत से इस शताब्दी में सिर्फ तीन सूर्यग्रहण और दिखाई देंगे वे भी लंबे अंतरालों के बाद।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिला है। इस दौरान कुरुक्षेत्र में संत-महंत पूजा-पाठ और हवन-यत्र किया। हरियाणा के सिरसा, रतिया और कुरुक्षेत्र में भी आग का छल्ला नजर आया।
इस बार के सूर्य ग्रहण का योग 80 साल बाद बना है। अमावस्या के दिन चांद जब सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य आ जाता है तो इस आकाशीय घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। जब चांद की छाया पूर्ण रूप से सूर्य को ढक लेती है तो यह पूर्णग्रास सूर्यग्रहण कहलाता है। जब सूर्य की छाया चांद से बड़ी होती है और चांद की छाया सूर्य की छाया को पूरी तरह से ढक नहीं पाती तो इस अवस्था में सूर्य एक चांदी के चमकते कंकण अथवा वलय के आकार में दिखाई देता है, जिसे वलयाकार अथवा कंकण सूर्यग्रहण कहते हैं। यह बात चंडीगढ़ में सेक्टर-30 स्थित श्री महाकाली मंदिर स्थित भृगु ज्योतिष केंद्र के प्रमुख पंडित बीरेंद्र नारायण मिश्र ने कही।
खगोल शास्त्रियों का कहना है कि इसे कोई भी देखने की कोशिश न करें। नहीं तो आंखों की रोशनी चली जाएगी। टीवी या अखबारों में आनी वाली फोटो को ही देखें। पीयू के खगोलशास्त्री प्रो. संदीप सहजपाल ने बताया कि सूरज व पृथ्वी के मध्य जब चंद्रमा आ जाता है तो सूर्यग्रहण होता है। इस दौरान सूरज की रोशनी कम हो जाती है। पूरा अंधकार नहीं रहता। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह से सूर्यग्रहण को देखने की कोशिश न करें, क्योंकि यह आंखों की रोशनी ले बैठ सकता है। क्योंकि सूर्यग्रहण को देखने की प्रक्रिया है लेकिन यदि वह थोड़ी भी गलत हो गई तो अंधापन हो सकता है।