1000 वर्ष से संघर्षरत हिन्दू अपने पौरुष और पराक्रम से अस्तित्व में है ।
राजनीति के भरोसे नही बचेगा धर्म,स्वयं लड़नी होगी लड़ाई। यह सच है कि धर्म की रक्षा और उसके मूल्यों को बनाए रखने के लिए व्यक्तिगत या समाजिक प्रयासों की जरूरत होती है। राजनीति और अन्य बाहरी ताकतें कभी-कभी धर्म के वास्तविक उद्देश्य को समझने या समर्थन करने में असफल हो सकती हैं। इसीलिए, धर्म की वास्तविकता और उसके आदर्शों की रक्षा के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सजग रहना महत्वपूर्ण है।

प्रमुख हिंदूवादी नेता मुनीश भारद्वाज एडवोकेट ने कहा धर्म की वास्तविकता और उसकी मान्यताओं की रक्षा तभी होती है जब लोग खुद धर्म के प्रति प्रतिबद्ध और सजग रहें। धर्म केवल बाहरी रूपों और प्रतीकों पर निर्भर नहीं होता, बल्कि उसकी आत्मा और मूल्यों की रक्षा व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों से ही संभव होती है। धर्म के प्रति ईमानदारी और प्रयास ही उसकी वास्तविक रक्षा करते हैं।
