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प्रदेश में निजी बस संचालक कोविड के तहत नियमों की धज्जियां उड़ा कूट रहे हैं चांदी

कैपिटल बस सर्विस की बस नियम एवं आदेश को धता बताते हुए पलवल से दिल्ली जाती

कोविड के चलते हरियाणा में कहीं परिवहन विभाग दिवाला तो नहीं निकलेगा ?

पलवल,(आवाज केसरी ) । कोरोना कोविड 19 की बढती रफ्तार को कम करने की नियत से सरकारी तथा निजी बसों में सवारी लाने-लाने के लिए परिवहन विभाग द्वारा बनाये नियमों आदेशों की शरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। निजी बसों में 25 के स्थान पर 55 –से 60 सवारियां बिठाकर ढोने का काम किया जा रहा है। और जिम्मेवार अधिकारी अपनी आँखों पर पट्टियां बांधकर सब देखते हुए भी अनजान बने हुए है, जिससे निजी बस ओपरेटर तो मालामाल हो रहे हैं और हरियाणा रोडवेज की बसों में सवारियों के लाले पड़े हुए हैं |जिसे देखकर लगता है हरियाणा राज्य परिवहन विभाग का दिवाला निकालने की तैयारियां तो नहीं की जा रही हैं।

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निजी बस सेवा में लगी केपिटल बस सर्विस में ठूंसकर सवारी बिठाते हुए

प्रदेश और देश में कोरोना संक्रमितों की बढती संख्या को देखते हुए परिवहन विभाग ने निजी और सरकारी बसों में सवारियों को ढोने की संख्या एक बार फिर निर्धारित पर सभी जिला मुख्यालयों पर निर्देश भेजे हैं जिसमें उन सरकारी बसों में सवारियों को बिठाने की सीमा (लिमिट) 30 की गई है जो बसें 52 सीटर है , और जो बसें 49 सीटर हैं  उनमें 25 सवारियां ही बिठाने के आदेश दिए गये हैं । आदेशानुसार प्रदेश में सरकारी बसें 52 सीटर होती है और कैपिटल सहित अन्य बसों में सीटों की संख्या 49 ही होती है जिससे निजी बीएस संचालकों को केवल 25 सवारियां बिठाकर लाने- ले जाने की अनुमति प्रदान की गई। कोरोना के चलते वैधानिक नियम के तहत ये आदेश एक बार फिर दोहराए गये हैं ताकि कहीं भ्रम न रहे। लेकिन निजी बस ऑपरेटर इन आदेशों की बिलकुल भी परवाह नही कर रहे हैं। उन्हें ना तो सरकार एवं परिवहन विभाग के आदेशों की चिंता है और ना ही कोरोना जैसी   विश्वव्यापी महामारी की चिंता है।

पलवल बस अड्डे पर हरियाणा रोडवेज के कार्य निरीक्षक / डीआई हाकिम अली ने बताया की सरकारी परिवहन विभाग की गाड़ियों में 30 तथा अन्य सामान्य बसों में 25 सवारियों को ढोने सम्बन्धी आदेश कार्यालय को प्राप्त हुआ है। हम तो इन आदेशों की पूरी तरह पालना कर रहे हैं लेकिन कैपिटल सहित  निजी संचालक इन आदेशों की कोई प्रवाह नहीं कर रहे हैं। वे तो खूब सवारियां ढो रहे हैं। और जब कार्रवाई बारे पूछा तो उनका कहना है की इनका चालान काटने का अधिकार केवल आरटीओ के पास है वही इन पर जुर्माना लगाकर रोक लगा सकते हैं। वहीं पलवल जिले में अतिरक्त उपयुक्त वत्सल वशिष्ठ जिनके पास आरटीओ का चार्ज भी है उनसे पूछे जाने पर उन्होंने कहा की मुझे प्रेस को जवाब देने का कोई अधिकार नहीं है आपको कुछ पूछना है तो जिला उपायुक्त या जिला पुलिस अधीक्षक से ही पूछ सकते हैं। और जब जिला उपायुक्त पलवल नरेश नरवाल से उनके सरकारी मोबाईल फोन पर उपरोक्त विषय में वर्जन लेने के लिए दो मिनट का समय मांगा तो उन्होंने कहा की मैं किसी भी पत्रकार को व्यक्तिगत रूप से किसी सवाल के जवाब नहीं देता हूँ इसलिए आपको जो कुछ पूछना है मासिक प्रेस कोंफ्रेंस के दौरान ही पूछना। इस तरह नहीं लगता है की बड़े प्रशासनिक पदों पर बैठे हुए अधिकारीयों की निष्ठा और जवाबदेही किसी भी सूरत में आम जन के प्रति साफ़-शुद्ध हो। जबकि पलवल में सैंकड़ों बसें बिना किसी परमिट के अवैध रूप से धडल्ले से चलाई जा रही हैं।  

वहीं बसों में खाने-पीने तथा अन्य सामान बेचने वाले भी चेहरे को ढांप कर नहीं रख रहे हैं। वे सामान बेचने के लिए बसों में बिना मास्क लगाये चढ़ जाते हैं और फिर बस के अंदर प्रत्येक सीट पर बैठी हुई सवारी से नजदीक से सम्पर्क करते हुए अपना सामान बेचने का काम कर रहे है उन्हें रोकने अथवा टोकने वाला कोई नहीं है। जो खुद कोविड -19 को निमन्त्रण देते हुए दूसरे लोगों को बांटने का काम कर रहे हो सकते हैं।   

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