पलवल, 27 नवंबर (गुरूदत्त गर्ग)। किसान आंदोलन की तर्ज पर ही केएमपी-केजीपी इंटरचेंज पर केंद्र सरकार के खिलाफ किसान-मजदूरों द्वारा 72 घन्टे का महापड़ाव शुरू किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा एवं केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आयोजित तीन दिवसीय महापड़ाव सोमवार को दूसरा दिन था। किसानों का कहना है कि 72 घन्टें के महापड़ाव के बाद सयुक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा अगर आगे कोई निर्णय लिया जाता है, तो वह उस पर भी अमल करेंगे। किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें अगर फिर से रोड जाम व रेल रोको आंदोलन करना पड़ा, तो वह उससे भी पीछे नहीं हटेंगे।किसान नेता महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि देश की सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण आज मेहनतकश जनता की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। वर्ष 2020-21 के 13 महीने के लंबे संघर्ष के दबाव में केंद्र सरकार ने जिन मांगों को स्वीकार करके जल्द लागू करने का भरोसा किसानों को दिया था, 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी उन मांगों को लागू नहीं किया गया है। किसानों की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी ने भी आज तक कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि बार-बार ज्ञापन देने और धरना प्रदर्शन करने के बावजूद फसल खराबी का मुआवजा निर्धारित नहीं किया गया है। सरकारी विभागों को पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। मजदूरों ने लंबे आंदोलन के बाद अपने अधिकारों के लिए श्रम कानून का निर्माण कराया था। आज सरकार ने मजदूरों के अधिकारों पर हमला बोल रखा है।