कैथल,15 जून,2021
है वही महान, इस जग में
जो अपनी राह बनाता है
कोई चलता है पद चिन्हों परकोई खुद पद चिन्ह बनाता है
नर सिंह नरों में सिंह। पूजनीय चौधरी नर सिंह ढाण्डा ने इस नाम के अर्थ को सही में साबित किया है। हरियाणा के आज के जिला कैथल के एक छोटे से गांव खेडी सिम्बलवाली के एक साधारण किसान चौधरी रिसाल सिंह ढाण्डा के घर में जन्मे चौधरी नर सिंह ढाण्डा सात भाईयों और एक बहन में चौथे स्थान के थे। एक आम परिवार से हरियाणा के कैबिनेट मंत्री तक का सफर संघर्षपूर्ण, प्रेरणादायक और असाधारण रहा था। गांव खेडी, गुलियाणा और राजौंद में अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद कुरूक्षेत्र विवि से कानून की पढाई पूरी की। खेलों में रूचि रखने वाले स्वर्गीय नर सिंह ढाण्डा आरकेएसडी कालेज कैथल के वालीबाल टीम के कप्तान रहे और अन्य खेलों में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे। कालेज में उनके साथ पढे उनके मित्र, उनके मिलनसार, उनके हंसमुख और कुशल नेतृत्व को आज भी याद करते हैं। पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने कापरेटिव बैंक में बतौर क्लर्क की नौकरी से शुरूआत की। अपने सामाजिक स्वभाव के चलते उन्होंने कैथल कोर्ट में वकालत शुरू की। निरंतर लोगों के बीच रहने वाले स्वर्गीय नर सिंह ढाण्डा ने आखिरकार राजनीति को अपना कर्मक्षेत्र चुना। एक राजनेता के तौर पर अपनी ईमानदार, बेदाग, बेबाक छवि और दबंग अंदाज के कारण हरियाणा की राजनीति में आज भी उनका उदाहरण दिया जाता है। कई वर्षों के संघर्ष और जमीन से जुडे होने के कारण 1982 में पहली बार चौधरी देवीलाल ने उन्हें पाई विधानसभा से प्रत्याशी बनाया। सीमित संसाधनों के बावजूद लोगों के सहयोग और दृढ इच्छाशक्ति से पहली बार में ही लगभग पांच हजार वोटों से जीतकर विधानसभा पहुंचे। यह वो दौर था, जब देश और प्रदेश के अंदर आयाराम-गयाराम की राजनीति चरम पर थी। हरियाणा प्रदेश में भी कांगे्रस की सरकार बनती देख कई विधायकों ने चौधरी देवीलाल का साथ छोड दल बदल लिया। उस कठिन समय में भी अपने साथ खडे विधायकों को चौधरी देवीलाल जी ने नवरत्नों की संज्ञा दी। स्वर्गीय चौधरी नर सिंह ढाण्डा उन नौ रत्नों में से एक थे। देवीलाल जी के नेतृत्व में दिल्ली तक पदयात्रा की एवं अपने संघर्ष के बलपर 1987 के विधानसभा चुनाव में रिकार्ड लगभग 30 हजार वोटों से चुनाव जीतकर पहले मार्किटिंग बोर्ड के चेयरमैन बने और फिर हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री पद के तौर पर शपथ ली। कैबिनेट मंत्री के तौर पर उन्होंने खाद्य-आपूर्ति विभाग, समाज कल्याण विभाग, जेल विभाग तथा मत्स्य पालन विभाग जैसे अहम महकमों का कार्यभार संभाला। उनका कार्यकाल जनकल्याणकारी एवं जन हितैषी रहा। मार्किटिंग बोर्ड के चेयरमैन के नाते खेत में किसानों के साथ होने वाली दुर्घटना के लिए सहायता राशि की शुरूआत करने के साथ-साथ समाज कल्याण मंत्री होते हुए बुढापा सम्मान पेंशन का बिल विधानसभा में प्रस्तुत किया। बतौर जेल मंत्री जेलों में पंखे तथा दूध की व्यवस्था की शुरूआत की। 1989 में उन्हीं के अथक प्रयासों से कैथल को जिला का दर्जा मिला। उनके कार्यकाल में ही कैथल को शुगर मिल की सौगात मिली।
फाईल फोटो
अपने संकल्प के अनुरूप मंत्री बनने के बाद ही उन्होंने 1988 में वैवाहिक जीवन की शुरूआत की। श्रीमति कमलेश ढाण्डा जी, जो आज हरियाणा में महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं, उनसे उनका विवाह हुआ। मंत्री बनने के बाद चौधरी नर सिंह ढाण्डा जमीनी स्तर पर लोगों से जुडे रहे और सदा कमेरे वर्ग और आम आदमी की आवाज को बुलंद करते रहे। पद बदला, पर स्वभाव नहीं। उनकी लोकसेवा की चाह किसी पद की मोहताज नहीं थी। स्वर्गीय नर सिंह ढाण्डा 1995 में हरियाणा विकास पार्टी में शामिल हुए। भले ही उन्हें बहुमत न मिला हो, परंतु लोगों का उनके प्रति स्नेह और विश्वास निरंतर बना रहा। 2003 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और 2005 और 2009 के चुनाव में पाई और कलायत विधानसभा सीट से चुनाव लडा। जीवन में भले ही कितने उतार-चढाव आए, परंतु वह हर चुनौती से यह कहकर लडे कि अभी से क्यों छलकाएं आंसु, अभी जिंदगी की दास्तां बहुत लंबी है। दुर्भाग्यपूर्ण 13 दिसंबर 2009 को बिमारी के चलते उनका देहांत हो गया। भले ही वो आज हमारे बीच नहीं हो, लेकिन उनके दिए संस्कार, उनके सुझाए सिधांत, उनकी विचारधारा सदा हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी। उनके द्वारा रखी गई मजबूत नींव का परिणाम है कि आज उनकी धर्मपत्नी श्रीमति कमलेश ढाण्डा जी उनके दिखाए रास्ते पर आगे बढते हुए माननीय मनोहर लाल जी की सरकार में बतौर राज्यमंत्री जनसेवा के कार्य में लगी हुई हैं। विशाल व्यक्तित्व के धनी चौधरी नर सिंह ढाण्डा के जीवन के शब्दों में बयां करना मुश्किल है। फूल खिलता हैं, मुरझा जाता हैपर उसका इत्र, उसकी खुशबु सदा के लिए के लिए अमर हो जाती हैहजारों दिलों में आप सदा जीवित रहेंगे आए हो जो किरदार निभाने जमीं परकुछ ऐसा कर चलो कि जमाना मिसाल देस्वर्गीय चौधरी नर सिंह ढाण्डा अमर रहें।
तुषार ढाण्डा (लेखक पूर्व कैबिनेट मंत्री नर सिंह ढाण्डा के सुपुत्र हैं ।)