पलवल (आवाज केसरी) पलवल की पंजाबी धर्मशाला में 36 बिरादरी के लोगों ने पारम्परिक लोहड़ी का पर्व मनाकर अपने पूर्वजों को याद करते हुए सज्जन शक्ति तथा प्रकृति रक्षा और सृजन करने का संकल्प लेने का आवाह्न किया गया।
बीती शाम पलवल की पंजाबी धर्मशाला में पारंपरिक रूप से लोहड़ी का पर्व मनाया गया जिसमें 36 बिरादरी के लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रवीण ग्रोवर में कहा कि देश के बंटवारे के समय हमारे पूर्वजों के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी उन्हें कहा गया था या तो देेश छोड़ दें या अपने धर्म को छोड़ दें, लेकिन हमारे पूर्वजों ने अपनी पुरातन सनातन हिंदू संस्कृति को छोड़ने की बजाय देश के उस हिस्से को छोड़ना मंजूर किया जहां पर उन्हें अपने धर्म और अपनी संस्कृति से विमुख करने पर मजबूर किया जा रहा था।

उन्होंने कहा कि पंजाबी कोई एक जाति नहीं है यह एक संस्कृति है। जिसमें सभी कौम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जातियां पहले भी कभी नहीं थी पहले भी केवल दुर्जन और सज्जन शक्ति होती थी और अब भी वही दुर्जन और सज्जन शक्ति है। लेकिन हमने अपने स्वार्थ के कारण खुद को जातियों में बांट लिया है। कहा कि पूर्व काल में राक्षस और देवता कहलाए जाते थे बाद में मानव और दानव के रूप में दुर्जन और सज्जन शक्तियों की पहचान हुई। उन्होंने कहा कि सचिन शक्ति को सैकड़ों हजारों साल भी उनके अच्छे कार्यों के कारण उसी प्रकार याद किया जाता है जिस प्रकार लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी को मुसलमान होते हुए भी दो बहनों की जान बचाने के कारण आज भी सम्मान के साथ याद किया जाता है।