पलवल, 16 सितंबर(आवाज केसरी)
उपायुक्त नरेश नरवाल ने बताया कि एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन (कृषक उत्पादक कंपनी) किसानों का एक समूह होगा, जो कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाएगा। एक समूह बनाकर कंपनी एक्ट के तहत इसे रजिस्टर्ड करवा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण विभाग (मार्केट डिवीजन) के तहत इस नई एफपीओ नीति-2020 के तहत 5 साल तक की नई एफपीओ के लिए हैंड होल्डिंग व समर्थन, क्रेडिट गारंटी फंड जैसी मुख्य सुविधाएं दी जाएंगी तथा एफपीओ प्रबंधन लागत तीन साल के लिए प्रति एफपीओ पर 18 लाख रुपये और इनक्यूबेशन लागत सहित पांच साल के लिए 25 लाख रुपये प्रति एफपीओ होगी। उन्होंने बताया कि सबसे पहले एफपीओ का पंजीकरण करवाया जाना है, जिसमें इसके सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। इस योजना को लागू करवाने में एस.एफ.ए.सी., एन.सी.डी.सी., नाबार्ड, राज्य संगठन या एजेंसी कार्य करेंगी। उन्होंने बताया कि क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों द्वारा एफपीओ का गठन किया जाएगा तथा उसका क्रियान्वयन इन एजेंसी द्वारा किया जाएगा। एफपीओ की प्रबंधन लागत, क्रेडिट गारंटी फंड व नोडल प्रशिक्षण संस्थान जैसी सुविधाएं होंगी। उन्होंने बताया कि एक जिला-एक उत्पाद के आधार पर बागवानी क्लस्टर में एक क्लस्टर-एक उत्पाद, कृषि, पशुपालन, मतस्य विभाग भी एक जिला-एक उत्पाद के अनुसार कार्य करेंगे। उपायुक्त ने उप निदेशक कृषि, उप निदेशक पशुपालन, जिला मत्स्य अधिकारी और जिला बागवानी अधिकारी को एफपीओ नीति 2020 के अनुसार इस योजना को लागू करने के निर्देश दिए।
उपायुक्त ने बताया कि नई एफपीओ नीति-2020 के तहत एफपीओ के क्लस्टर गठन की पहचान की जानी है और डी.एल.एम.सी. से अनुमोदन के बाद इसे अंतिम अनुमोदन के लिए एस.एल.सी.सी. को प्रस्तुत किया जाना है, जिसके लिए बागवानी विभाग द्वारा 12 कलस्टर की पहचान की जा चुकी है। उन्होंने उप निदेशक पशुपालन, उप निदेशक कृषि, जिला मत्स्य अधिकारी को निर्देश दिए कि वे क्लस्टर की पहचान करें और रिपोर्ट अगली बैठक में प्रस्तुत करें तथा जिला बागवानी अधिकारी को चिन्हित समूहों के लिए अनुमोदन प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिए।
उपायुक्त ने बताया कि विभिन्न समूहों की एफपीओ की पहचान और अंतिम रूप देने के बाद अगले पांच वर्षों के लिए वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की जाएगी। उपायुक्त ने बताया कि एफपीओ के दो सदस्यों को डी.एल.एम.सी. के सदस्य के रूप में नामित किया जाना है। उन्होंने सदस्य सचिव को अनुमोदन के लिए विस्तार से प्रस्ताव प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए।
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पलवल, 16 सितंबर।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से जारी निर्देशानुसार जिले में फसल वैरीफिकेशन का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत मेरी फसल मेरा ब्यौरा में किसानों द्वारा दर्ज फसल रिकॉर्ड को खेतों में जाकर सत्यापन का कार्य किया जा रहा है।
उपायुक्त नरेश नरवाल ने बताया कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा में दर्ज फसल रिकॉर्ड के आधार पर किसानों की फसल उत्पाद मंडी में एमएसपी पर खरीद की जाएगी। मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर किसानों का सही रिकॉर्ड दर्ज होने से केवल हरियाणा प्रदेश के किसान ही मंडी में अपनी फसल बेचकर सरकार की योजना का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने बताया कि इन दोनो प्रक्रियाओं का समयबद्ध एवं पारदर्शिता से करना बहुत आवश्यक है। कृषि विभाग ने इस कार्य की गुणवत्ता व पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए फसल कटाई व क्रॉप वैरीफिकेशन का कार्य करते समय प्रत्येक गांव के नम्बरदार की भागीदारी का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि सभी नम्बरदार प्रत्येक गांव में फसल कटाई प्रयोग व क्रॉप वैरीफिकेशन के समय संबंधित टीम के साथ पूर्ण सहयोग करेंगे।
नई एफपीओ नीति-2020 के तहत 5 साल तक की हैंड होल्डिंग व समर्थन, क्रेडिट गारंटी फंड के बारे जानें
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