स्वास्थ्य डेस्क (आवाज केसरी) । फिजियोथेरेपी को हिंदी में भौतिक चिकित्सा पद्धति कहा जाता है। फिजियोथैरेपी आधुनिक चिकित्सा पद्धति मानी जाती है। घुटनों, पीठ या कमर में दर्द, गर्दन का दर्द (सर्वाइकल दर्द), डिस्क स्लिप जैसे कई रोगों से बचने या निपटने के लिए बिना दवा खाए या चीरा लगवाए फिजियोथेरेपी एक असरदार तरीका है।
या कहें कि एक मरीज को स्वस्थ बनाए रखने के लिए फिजियोथेरेपी ही एक मात्र उपचार है। यह शारीरिक पुनर्वास, चोट की रोकथाम, स्वास्थ्य और फिटनेस बनाने में मदद करता है। फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ ड़ॉ जितेंद्र सिंगला का कहना है कि अपनी खुद की सेहत ठीक करने में फिजियोथेरेपी ही मदद करती है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में अधिकांश लोग दवाइयों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए फिजियोथेरेपी की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि यह न केवल कम खर्चीला होता है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव भी नहीं है।
जानें – फिजियोथेरेपी क्या है?
डॉ जितेंद्र सिंगला ने बताया है कि फिजियोथेरेपी मुख्य तौर पर चोट और हड्डियों के दर्द को कम करता है। साक्ष्य आधारित प्राकृतिक तरीकों से व्यायाम तथा अनुकूलित उपकरणों की मदद से प्रशिक्षण लेकर सतत अभ्यास से वर्षों पुरानी दर्द की बीमारी को ठीक किया जा सकता है। फिजियोथेरेपी बीमारी या चोट के परिणामस्वरूप रोगियों में होने वाले शारीरिक विकारों में सुधार करता है।
उन्होंने बताया कि फिजियोलॉजी, न्यूरोसाइंस और शरीर रचना विज्ञान सहित चिकित्सा विज्ञान विषयों के अध्ययन के आधार पर, फिजियोथेरेपिस्ट शारीरिक स्वास्थ्य शिक्षा, चोट की रोकथाम, और शारीरिक विकारों या विकलांग रोगियों के निदान और उपचार के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान विकसित करने के लिए अध्ययन करते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट लोगों को बेहतर शारीरिक कार्य के माध्यम से उनके दैनिक जीवन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
आइये अब जानते हैं -फिजियोथेरेपी क्या है?
फिजियोथेरेपी मरीज की बीमारी को दूर करने में विशेष रूप से अहम भूमिका निभाती है। जिसका निम्न समस्याओं के उपचार में उपयोग किया जाता है।
• लिगामेंट का फटना
• किसी तरह कि चोट व शारीरिक अक्षमता से सुरक्षा करना।
• चोट व पुरानी बीमारी को ठीक करना।
• शारीरिक गतिविधि में सुधार लाना।
• चोट के बारे जागरूक करना।
• तीव्र दर्द से बचाव करना
• जाम जोड़ों को खोलना
• डिस्क स्लिप
• पीठ दर्द
• जाम हुए कंधे
• ऑस्टियों आर्थराइटिस घुटने
• पीठ आदि की जकड़न
• लकवा( फालिस) ,अधरंग
• मुंह का लकवा
• खेल की चोट
इसके अलावा डॉ सिंगला मरीजों को समय – समय पर विस्तार से सलाह भी देते है। यह थेरेपी मरीज के चोट और बीमारी को समाप्त करने के लिए होती है। कई तरह की चोट का इलाज करने के लिए कुछ उपकरण की सहायता लेते हैं। कुछ सामान्य तकनीक भी शामिल हैं। जैसे हाथों से थेरेपी देना यानि जोड़ों में अकड़न और मांसपेशियों में ऐठन को दूर करता है। फंक्शनल टेस्टिंग की सहायता से मरीज का आंकलन किया जाता है। मरीजों के शरीर का सही से बदलाव करने के लिए यह प्रक्रिया करवाई जाती है।
फिजियोथेरेपी से होने वाले फायदे
आमतौर पर फिजियोथेरेपी से व्यापक दायरे के मरीज को कई लाभ मिलते हैं। फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ सिंगला ने बताया कि उन्होंने अपने निजी अभ्यास में परामर्श किया है कि कई तरह की स्थितियों का इलाज करते हैं। हड्डी रोग के मामले (इसमें खेल की चोटें, रीढ़ की हड्डी में दर्द) सबसे आम प्रकार के मरीज़ हैं जिनका हम फिजियोथेरेपी से इलाज करते हैं। फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल करने से बहुत से मरीज को अपने जोड़ों के दर्द, पीठ दर्द या अपंगता जैसी स्थितियों से राहत मिलती है।
सामान्यतः लोगों का मानना होता है कि इन्हीं दिक्कतों के कारण लोग फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा भी हमें फिजियोथेरेपी के बहुत फायदे मिलते हैं। जैसे छोटे बच्चों की बीमारियों, बुजुर्ग लोगों की बीमारियों में फिजियोथेरेपी के अच्छे परिणाम देखे गए हैं
विदेशों में फिजियोथेरेपी है जरूरी
विदेशों में फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ की सलाह के बिना किसी भी मरीज का उपचार शुरू नहीं किया जाता है। मरीज का उपचार करने से पहले फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ की सलाह ली जाती है। उसके उपरांत ही मरीज का इलाज किया जाता है। इसलिए फिजियोथेरेपी विदेशों में अहम रोल निभाती है।
फिजियोथेरेपी के प्रति लोगों में भ्रम
डॉ जितेंद्र का कहना है कि फिजियोथेरेपी को लेकर लोगों में कई प्रकार की भ्रांतिया होती है। जैसे लोगों को ये कह दिया जाता है कि फिजियोथेरेपी में उपचार के दौरान मरीज को बिजली का कंरट दिया जाता है, जिससे मरीज का खून सूखता (शरीर में खून की कमी) होती है। जो मरीज फिजियोथेरेपी लेता है तो जिंदगी में आगे वह किसी प्रकार का उपचार नहीं ले सकता है। इस तरह का लोगों में भ्रम है। जबकि फिजियो में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है।
इसके विपरित जो मरीज समय पर ठीक फिजियोथेरेपी लेता है उसे और किसी अन्य इलाज की जरूरत ही नहीं होती। और वह ठीक हो जाता है।
डॉ सिंगला का कहना है कि किसी भी मरीज को किसी भी प्रकार की हड्डी और जोड़ों के दर्द की कोई भी परेशानी होती है तो वह सोचता है कि हड्डी विशेषज्ञ को दिखाने के उपरांत ही फिजियोथेरेपिस्ट से उपचार लिया जाये। जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि उन्होंने भी 4.5 साल की बैचलर डिग्री, 2 साल की मास्टर डिग्री का कोर्स किया हुआ होता है। परंतु इलाज शिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट पर ही करवाना चाहिए । अस्पताल में भिन्न प्रकार के टेस्ट करवाये जाते है, उन सभी प्रकिया और खर्चा से आसानी से बचा जा सकता है।
उन्होंने कहा है अगर किसी भी व्यक्ति को अपने स्वस्थ जीवन में किसी भी प्रकार की दिक्कत होती है और सही समय पर वह फिजियोथेरेपी लेता है तो उसे दवाइयों व ऑपरेशन से बचाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि जिन लोगों के द्वारा सही समय और सही फिजियोथेरीपी का चयन किया गया वह आज शारीरिक रूप से स्वस्थ होकर जिंदगी का आनंद ले रहे हैं। जिन मरीजों ने गामा फिजियोकेयर से इलाज करवाया है, उन्हें ऑपरेशन से छुटकारा मिला है।
आइयें अब जानते है डॉ जितेंद्र सिंगला के बारे में
डॉ जितेंद्र सिंगला जो MPT (ऑरथो) हैं उन्होंने विमहंस अस्पताल (नेहरू नगर, लाजपत नगर, नई दिल्ली) से शुरूआत की थी। उन्होंने बताया कि जिसके उपरांत उन्होंने 2005 में गामा फिजियोकेयर क्लीनिक की शुरूआत की । जो सोहना रोड़, जिला पलवल में स्थित है, जिसे वह पिछले 15 वर्षों से चला रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वह मरीजों को स्वास्थ्य के प्रति टिप्स भी देते है। जिससे उक्त व्यक्ति को जिंदगी में किसी भी प्रकार की परेशानी का समाना न करना पड़े ।