Home ताज़ा खबरें संघ मुख्यालय में पहली बार नतमस्तक हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, पढ़िये पूरी खबर

संघ मुख्यालय में पहली बार नतमस्तक हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, पढ़िये पूरी खबर

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया

राजनीति डेस्क,(आवाज केसरी) । पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्‍यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलवार को पहली बार नागपुर स्थित संघ मुख्यालय पहुंचे। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद उनकी यह पहली यात्रा थी और इससे यह संदेश भी प्रसारित हो गया कि अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा में पूरी तरह रच-बस गए हैं। निकट भविष्य में मप्र विधानसभा की 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की वजह से भी सिंधिया के इस दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है। 

नागपुर पहुंचे ज्योतिरादित्य ने संघ में जताई आस्था 

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भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के करीब पांच माह बाद सिंधिया की इस यात्रा के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस से जनसंघ में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का भी संघ से बहुत मजबूत रिश्ता बना। जानकारी के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागपुर पहुंचकर आरएसएस के संस्थापक डॉ बलिराम केशव हेडगेवार के निवास और रेशमबाग स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर में मत्था टेका। 

देश की सेवा के लिए समर्पित है आरएसएस 

सिंधिया ने कहा भी कि यह केवल एक स्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा स्थल है। उन्होंने आरएसएस जैसे संगठन का गठन किया जो देश की सेवा के लिए समर्पित है। यह स्थान देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। एक दिनी नागपुर दौरा सिंधिया मंगलवार को नागपुर के एक दिवसीय दौरे पर थे। सिंधिया की इस यात्रा को इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा के कई दिग्गज नेता सिंधिया समर्थक मंत्रियों और पूर्व विधायकों की उपचुनाव में उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं। आने वाले उपचुनाव में कहीं कोई अवरोध न हो, इसके लिए भी उनका प्रयास चल रहा है।

मैं भाजपा का कार्यकर्ता, कांग्रेस के मामलों में नहीं बोल सकता : सिंधिया

भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रहे विवाद पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं। किसी पार्टी के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।

गौरतलब है कि 20 से ज्यादा समर्थित विधायकों के साथ वह इसी साल मार्च में कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके इस कदम से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी और वहां भाजपा की सरकार बन गई।

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