नई दिल्ली,27 जून (आवाज केसरी)। कई मुद्दों पर भारत की कूटनीति के आगे विफल रहा पाकिस्तान को अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मुंह की खानी पड़ रही है। आलम ये है कि पाकिस्तान इसको लेकर भारत पर तरह – तरह के आरोप लगा रहा है। ताजा मामला अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय चावल की बिक्री से जुड़ा है, जिसके खिलाफ पाकिस्तान की राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन मैदान में उतरती दिखाई दे रही है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान और भारत दोनों ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने बासमती चावल और मोटे किस्म के अनाज को बेचती हैं। लेकिन इस मंच पर भारत ने जो बाजी मारी है और पाकिस्तान को झटका दिया है, उससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तान के चावल का खेल इसलिए भी खराब हुआ है क्योंकि भारत की कीमत उसकी कीमत की अपेक्षा काफी कम रही है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां अपने चावल की कीमत 450 डॉलर प्रति टन रखी थी वहीं भारत ने महज 360 डॉलर प्रति टन की दर से अपना चावल बेचा था। इसकी वजह से पाकिस्तान इस खेल में भारत से कहीं पीछे छूट गया।
पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2020 से मई 2021 के बीच पाकिस्तान के राइस एक्सपोर्ट में करीब 14 फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है। पाकिस्तान ने इससे पहले जहां 3.8 मिट्रिक टन चावल एक्सपोर्ट किया था वहीं इस बार वो 3.3 मिट्रिक टन ही चावल एक्सपोर्ट कर सका है। न्यूज ऐजंसी की खबर के मुताबिक देश के वाणिज्य सचिव का कहना है कि वर्ष 2020-21 के बीच कृषि और इससे संबंधित दूसरे उत्पादों का एक्सपोर्ट करीब 17.34 फीसद तक बढ़ा है। उनके मुताबिक चावल, मोटे अनाज गेंहू समेत अन्य उत्पादों के एक्सपोर्ट में भी इस दौरान काफी वृद्धि आई है।
पाकिस्तान की राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन का आरोप है कि कम कीमत पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल को बेचकर भारत ने पाकिस्तान का खेल खराब किया है। एसोसिएशन का ये भी कहना है कि भारत और पाकिस्तान के चावल के बीच आई 100 डॉलर प्रति टन की दूरी ने देश के एक्सपोर्ट को नुकसान पहुंचाया है। ऐजेंसी ने पाकिस्तान के अखबार डॉन के हवाले से ये भी कहा है कि एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल कयूम प्राचा ने भारत पर ये भी आरोप लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने चावल की कीमत को कम करके भारत ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन किया है।
उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सब्सीडाइज चावल को बेचना एक अपराध है। उनके मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कंबोडिया, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, वियतनाम भी चावल बेच रहे हैं और इनकी कीमत 420 डॉलर प्रति टन से से 430 डॉलर प्रति टन है। ऐसे में भारत ने ही अपनी कीमत इतनी कम क्यों रखी हैं। इसकी वजह से भारत को जहां फायदा हुआ है वहीं पाकिस्तान को इसकी बदौलत नुकसान झेलना पड़ा है। प्राचा ने ये भी कहा है कि भारत की इस नीति से पाकिस्तान की नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल बेचने वाले दूसरे देशों को भी जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा है।