Home ताज़ा खबरें यज्ञ नहीं करने से मनुष्य पथ भ्रष्ट हो जाता है – सरस्वती

यज्ञ नहीं करने से मनुष्य पथ भ्रष्ट हो जाता है – सरस्वती

पलवल,(आवाज केसरी) । वातावरण को शुद्ध करने के लिए आर्य समाज अलावलपुर के तत्वावधान  में वृहद यज्ञ किया गया। जगमोहन तेवतिया ने यजमान की भूमिका निभाई। वैदिक विद्वान स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती के द्वारा यज्ञ सम्पन्न कराया। ग्रामीणों ने यज्ञ में बढ चढ़कर भाग लिया। इस अवसर पर स्वामी श्रद्धानन्द ने कहा कि यज्ञ में  श्रद्धा, प्रेम और भक्तिभाव से दी गई आहुतियाँ धर्म का रुप धारण कर लेती हैं। हवनकुण्ड की पावन अग्नि में प्रदत्त आहुतियों को अग्नि देवता सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर देता है। उन्होंने बताया कि यज्ञ को शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में सबसे श्रेष्ठ कर्म कहा गया है।

यज्ञ में दी गई आहुतियाँ से वायु मण्डल तथा वृष्टि जल शुद्ध होता है परिणाम स्वरुप इससे सभी प्राणि सुखी होते हैं। सबके उपकार करने वाले यज्ञ को नहीं करने वाले मनुष्यों को दोष लगता है। मानव देहधारी होकर प्राणी सबसे उत्तम है, वेदों में कहा गया है प्रतिदिन यज्ञ न करने से मनुष्य पथभ्रष्ट हो जाता है। इस अवसर इन्द्रदेव आर्य, महाशय देवीलाल, भरतसिंह आर्य, बलबीर पहलवान, गिरिराज  थानेदार, राजपाल, ह्रदयराम नम्बरदार, मोहरपाल पप्पू सरपंच, प्रथमसिंह, उदयराज आर्य, प्रह्लाद सिंह, राजेश, ताराचन्द, राधे, प्यारेलाल, तुल्ला, नरेन्द्र तेवर आदि मौजूद थे।

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