पलवल,(आवाज केसरी) । किसान फसल को सस्ते दामों में बेचेने के लिए हो रहा मजबूर,धान के खरीददार ढेरियों पर खड़े होकर लगाते है ठहाके। धान के निर्यात पर रोक लगे होने के कारण इस बार किसानों को धान की कीमत पूरी नहीं मिल पा रही है। प्रदेशभर के अनाज मंडी में किसान धान की फसल को सस्ते में बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। अनाज मंडी में खरीदार धान के ढेर पर खड़े होकर बोली लगाते हुए ठहाके लगाते हैं तब किसान की आंखों से आंसू बरसते हैं।
प्रदेश की अनाज मंडी में अन्नदाता किसान इस समय धान लेकर बेचने के लिए पहुंच रहा है लेकिन जब खरीदार धान की बोली लगाते हैं तो उस समय किसान बेबस और लाचार दिखाई देता है। पिछले वर्ष से तुलना करें तो इस वर्ष धान की कीमत 1000 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल कम मिल रही है। जिसके लिए केंद्र सरकार की पॉलिसी को जिम्मेवार बताया जा रहा है।
किसान बिसम्बर का कहना है कि अनाज मंडी में धान बेचने पहुंचे किसान की डेरी पर जब खरीदारों ने बोरी लगाई तो किसान ने कम कीमत होने के कारण बेचने से इनकार कर दिया पूछे जाने पर किसान का कहना है कि खरीदार ने केवल 1811 रुपए कीमत लगाई है जबकि पिछले साल इसी किस्म के धान की कीमत 3000 से ऊपर थी बताया कि 10 दिन पहले मैं बिल्कुल गीला धान बेचकर गया था ,इससे तो तभी कीमत ठीक मिल गई थी।
प्रदेश अनाज मंडी एसोसिएशन के उप प्रधान गौरव तेवतिया का कहना है कि एक तरफ जहां सर प्रदेश सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कर रही है वही इस वर्ष धान की कीमत पिछले वर्षो की तुलना में आधी ही रह गई है। पलवल की अनाज मंडी में इस वर्ष धान की बासमती किस्म 1509 बहुतायत मात्रा में आ रहा है। जैसे प्रदेश सरकार की खरीद एजेंसी खरीदने से इंकार करती है। खरीद एजेंसी के प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार की गाइडलाइन केवल परमल पीआर धान मोटे धान को खरीदने की है जिस की आवक पलवल में ना के समान रहती है आज केवल 1 ढेरी मोटे धान की आई है वह भी मानकों पर खरी नहीं उतरी।