पलवल 18 जून।(आवाज केसरी)। विश्वव्यापी महामारी कोरोना के चलते हुए देशभर में हुए लॉकडाउन के बाद 22 मई से हरियाणा रोडवेज की बसें बहुत बड़े घाटे में चलाई जा रही है। एक तो इस समय प्रतिदिन 80 बसों की तुलना में मात्र 40 बसें रोड पर उतारी जा रही हैं | दुसरे एक बस में अधिकतम 30 यात्रियों के बिठाए जाने के कारण डीजल के खर्चे की पूर्ति नहीं हो पा रही है। घाटे का आलम तो यह है की रोडवेज के पास अपनी बसों का इंश्योरेंस कराने के फंड भी नहीं हैं जिसके कारण अकेले पलवल डिपो में ही 18 बसें बिना इंश्योरेंस के इंश्योरेंस कराए जाने के इन्तजार में खड़ी हुई है ।
हरियाणा रोडवेज यूं तो पिछले कई वर्षों से घाटे में चल रही है ।जिसके कारण हरियाणा रोडवेज का निजीकरण कराए जाने की चर्चाओं की प्रक्रिया भी चल ही रही है। लेकिन देश में विश्वव्यापी महामारी कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन के बाद जिस तरह से लोगों का आना जाना अवरुद्ध हो गया है ,फैक्ट्रियां कल कारखाने बंद हो गए हैं, स्कूल कालेज बंद हैं , अधिकांश कार्यालयों में उपस्थिति 50 % होने के कारण हरियाणा रोडवेज के आमदनी भी ना के बराबर हो गई है।
पलवल डिपो में लॉकडाउन से पहले जहां प्रतिदिन लगभग सात लाख रूपये प्रतिदिन के बुकिंग के रूप में आमद होती थी, वह घटकर अब लगभग डेढ़ लाख रुपए के आसपास रह गई है । यदि खर्चों और आमदनी की बात की जाए तो लॉक डाऊन के बाद 22 अप्रैल को हरियाणा रोडवेज ने बसों को रोड पर उतारने का फैसला लिया था। उसके बाद धीरे-धीरे बसों ने सड़कों पर उतर कर अपने निर्धारित रूटों पर जाना शुरू किया था। लेकिन इन रूटों पर सवारी ना के बराबर होने के कारण हरियाणा रोडवेज लगातार घाटे में रही। इस समय तक पलवल डिपो की करीब 40 बसें रूट पर चलाई जा रही हैं। जिनसे अभी तक मात्र सत्रह लाख रुपये की बुकिंग के रूप में आमदनी हुई है । जबकि 21000 लीटर डीजल के खर्चे के रूप में करीब साढे तेरह लाख लाख रुपए मूल्य का खर्च अकेले केवल डीजल पर ही खर्च किया गया है । दूसरे अन्य खर्चों में टोल टैक्स , बसों का मेंटेनेंस वेतन तथा भत्ते आदि का खर्च अलग से है।
हरियाणा रोडवेज के पलवल डिपो के ड्यूटी इंस्पेक्टर अब्दुल वहीद ने बताया कि प्रारंभ में 18 से 20 बसें 22 मई को रोड पर उतारी थी लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे रोड पर उतरने वाली बसों की संख्या 40 से 42 कर दी गई है उन्होंने बताया कि अभी भी कई रूट ऐसे हैं जिन पर ना के समान सवारिया मिल रही है जिनमें महेंद्रगढ़, भिवानी, रोहतक ,हिसार आदि रूट शामिल है जहां पर ऑनलाइन बुकिंग के जरिए बसें भेजी जा रही हैं| लेकिन कई बार सवारिया नहीं मिलने के कारण बसें कैंसिल भी कर देनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ ,हरिद्वार ,मथुरा -आगरा जैसे कुछ रूट हैं जिन पर बसों की आमदनी और चक्कर ज्यादा होते थे लेकिन इनमें से किसी भी रूट पर बस नहीं चलाई जा रही है । जयपुर रूट पर भी बसें बंद है जिसके कारण हरियाणा रोडवेज को घाटे का मुंह देखना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि इस समय पलवल डिपो में 18 बसें बिना इंश्योरेंस के खड़ी हुई है क्योंकि हरियाणा रोडवेज पलवल डिपो के पास बसों इंश्योरेंस कराने के लिए भी फंड नहीं है। उन्होंने बताया कि न केवल पलवल डिपो में बल्कि प्रदेश के अनेक डिपुओं में ऐसी अनेकों बसें डिपो के अंदर खड़ी हुई है जिनका इंश्योरेंस नहीं करवाया जा रहा है ।और बिना इंश्योरेंस बसों को रोड पर उतारना किसी के बस की बात नहीं है। बिना इंश्योरेंस कराए के बसों को रोड पर उतारने रिस्क कोई नहीं ले सकता है। और यदि कुछ दिन और यही हालात रहे तो सरकार के लिए बसें चलाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।