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हर्ष कुमार,रघुवीर सिंह तेवतिया, सुभाष चौधरी और दलाल टिकट की दावेदारी में दिख रहे हैं कमजोर

पलवल जिले के इन दिग्गज नेताओं की विधानसभा की सक्रिय राजनीति इस बार विराम लग जाएगा ?

वर्तमान हालात में चार दिग्गजों के विधानसभा में पहुंचने के रास्ते बंद हो गए हैं। जिनमें सबसे पहला नाम पृथला से  2009 में विधायक बने रघुवीर सिंह तेवतिया का आता है।  दूसरा नाम हथीन से पूर्व में मंत्री रहे हर्ष कुमार का और तीसरा नाम पलवल से पूर्व विधायक सुभाष चौधरी का आता है। जबकि पूर्व मंत्री सुभाष कत्याल और पूर्व विधायक रामरतन ने सक्रिय राजनीति से पहले ही संन्यास ले लिया है। ऐसे में चौथा नाम पूर्व मंत्री कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता करन सिंह दलाल का है। यदि वह इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलता है या फिर चुनाव में खड़े होकर हार जाते हैं तो करन दलाल की विधायकी पर आगे के लिए विराम लग जाएगा। 

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सबसे पहले बात करते हैं वर्ष 2009 में पृथला विधानसभा सीट का सृजन होने के बाद  कॉंग्रेस पार्टी से जीत हासिल करने वाले रघुवीर सिंह तेवतिया की, रघुवीर सिंह तेवतिया ने 2014 और 2019 में भी कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। अब कांग्रेस पार्टी के नए नियम को देखा जाए तो रघुवीर सिंह तेवतिया जो टिकट के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। टिकट मिलना असम्भव है। हालांकि टिकट के लिए जमीन में उनका बेटा वरुण तेवतिया कोशिश में लगा हुआ है। कांग्रेस पार्टी के लोकसभा चुनाव से लागू नियम को देखा जाए तो इस बार कांग्रेस पार्टी लगातार दो बार हरने वाले किसी भी कैंडिडेट को अथवा जिनकी जमानत जप्त हुई है। किसी को टिकट देने के मूड में नहीं है। इसलिए इस बार रघुवीर सिंह तेवतिया  इस विधानसभा की चुनावी दौड़ से  बाहर हो जाएंगे। 

       दूसरा नाम है होड़ल क्षेत्र के दिग्गज नेता चौधरी हर्ष कुमार का। हर्ष कुमार ने 1987 से चुनाव लड़ना शुरू कर कुल सात बार चुनाव लड़ा है।  लेकिन उन्हें जीत 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से और फिर 2005 में  निर्दलीय जीत हासिल की। उसके बाद 2009 और 20 14 और  फिर 2019 में जिन्होंने अपना भाग्य आजमाया लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया। हर्ष कुमार आपके पिता चौधरी राजेंद्र सिंह कांग्रेस पार्टी के बड़े समर्थक थे। इलाके में उनका खूब रौब और दाब था। जिसके चलते चौधरी हर्ष कुमार ने लोगों में अपनी मजबूत पकड़ बना ली। पहले इनका सपना होता था कि केवल एक बार विधायक बन जाए लेकिन दो बार विधायक बनने के बाद उनकी विधायक बनने की लालसा बलवती होती रही और फिर उन्होंने एक के बाद एक कई दल पकड़े और छोड़ दिये। हाल ही में उन्होंने जेजीपी की राष्ट्रीय सचिव के पद से इस्तीफा दे करके कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया था। लेकिन कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने की इसलिए कोई संभावना नहीं है कि कांग्रेस पार्टी ने लगातार दो बार चुनाव हारने वाले कैंडिडेट को टिकट देने से साफ इनकार किया है। इसलिए रघुवीर सिंह तेवतिया के साथ-साथ चौधरी हर्ष कुमार भी विधायक की की दौड़ से बाहर हो गए हैं। 

   अब बात करते हैं पूर्व विधायक राम रतन और पूर्व मंत्री सुभाष कत्याल की। दोनों ही नेताओं ने खुद की टिकट की सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर अपने-अपने बेटों और परिवार के सदस्यों को टिकट दिलाने की दौड़ में खड़ा कर दिया है। 

 अब बात करते हैं तीसरे नेता सुभाष चौधरी की। हाल ही में सुभाष चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कहा है और उसके पश्चात विगत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी महेंद्र प्रतापसिंह का खुला समर्थन किया था। अब वह कांग्रेस पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं । लेकिन प्राथमिक सदस्यता स्वीकर नहीं करने के चलते सुभाष चौधरी को कांग्रेस पार्टी की टिकट मिलने की कोई संभावना नहीं है। इन पांच बड़े और पलवल के दिग्गज नेताओं की विधायकी की सक्रिय  राजनीति से विराम लगने के बाद अगले दिग्गज नेता के रूप में अगला नाम कॉंग्रेस के पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री करनसिंह दलाल का है। करनसिंह दलाल कांग्रेस पार्टी की टिकट के प्रबल दावेदार है लेकिन विगत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह का खुलकर समर्थन नहीं किए जाने के कारण कांग्रेस पार्टी संगठन में टिकट की दौड़ में कमजोर हैं। और इस बार यदि कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिला तो करण दलाल का सपना भी इस बार चूर-चूर हो जाएगा। 

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