चंड़ीगढ़,(आवाज केसरी) । यमुनानगर न्यायालय में आज हिंदी भाषा में तैयार किया गया पहला केस दाखिल हुआ। जहां शिकायतकर्ता हिंदी में दायर इस केस को लेकर उत्साहित है, वहीं केस दायर करने वाले अधिवक्ता भी काफी प्रसन्न नजर आ रहे हैं।
यमुनानगर के न्यायिक परिसर में आज एक वकील ने हिंदी में तैयार किया गया केस कोर्ट में दाखिल किया। केस दायर करने वाले शिकायतकर्ता दर्शन लाल का कहना है कि वह बहुत खुश है कि उनका केस जो सबसे पहला हिंदी में केस है वह दायर किया गया है। उन्होंने कहा कि कम पढ़े लिखे लोगों को अपना केस समझने में आसानी होगी और इससे केस में समय-समय पर वकील से भी चर्चा करने में आसानी रहेगी।
वहीं केस दायर करने वाले अधिवक्ता का कहना है कि यह केस धारा 138 का केस है, जिसमें विष्णु फंडिग कंपनी बनाम दर्शन लाल है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा को सम्मान मिले, मातृभाषा में काम हो, क्योंकि ज्यादातर लोगों को अंग्रेजी नहीं आती। वह चाहते हैं कि उन्हें अपने केस के बारे में समय-समय पर जानकारी मिलती रहे। इसीलिए उन्होंने यह केस हिंदी में बनाकर डाला है।
उन्होंने बताया कि शुरू में जब केस न्यायधीश के सामने रखा गया तो उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया। लेकिन हमने इस संबंध में सेशन जज से बात की और अपनी स्थिति बताई तो उन्होंने हिंदी में केस लेने की हामी भर दी।
वहीं देशभर के न्यायालयों में हिंदी में काम हो इसके लिए 2015 से अधिवक्ताओं के संगठन बनाकर लड़ाई लड़ने वाले विशाल जोली ने बताया कि भारतीय भाषा नामक संगठन द्वारा इस संबंध में देश भर में 800 सेमिनार किए जा चुके हैं और हरियाणा में 90 में से 78 विधायकों के हस्ताक्षर करवा कर राज्यपाल को सौंपे गए हैं।
उन्होंने बताया कि 11 मई 2020 को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा हिंदी भाषा को अनिवार्य रूप से लागू किए जाने का प्रस्ताव पास किया गया था। उन्होंने कहा कि देश भर में जनगणना 2011 के अनुसार 98 प्रतिशत भारतीयों को अंग्रेजी नहीं आती और ऐसे में हिंदी में सभी कामकाज हो इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यमुनानगर में ऐसा पहला मामला है। हिंदी हमारी मातृभाषा है, मातृभाषा में काम हो यह सभी चाहते हैं।