पलवल, 23मई (गुरुदत्त गर्ग)। भारतीय सेना को समर्पित तथा सच्ची घटना पर आधारित, हरियाणा की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘फ़ौजा’ रिलीज को तैयार है। दर्शक फिल्म को 1 जून से सिनेमाघरों में देख पाएंगे। फिल्म का प्रमोशन शुरू करते हुए फिल्म की पूरी स्टारकास्ट, निर्माता-निर्देशक तथा अन्य क्रू मेंबर पलवल के रेड रॉक्स सिनेमा पहुंचे तथा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पत्रकारों से मुखातिब हुए। इस मौके पर फिल्म के निर्माता अजीत डालमिया, निर्देशक प्रमोद कुमार, फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले नेशनल अवॉर्ड विनर पवन राज मल्होत्रा, रुपहले पर्दे पर डेब्यू कर रहे कार्तिक दम्मू तथा, नीवा मलिक आदि ने फिल्म के बारे में विस्तार से चर्चा की।

फिल्म की परिकल्पना प्रमोद कुमार तथा पटकथा प्रवेश राजपूत एवं आकाश ने लिखी है। फिल्म के गीतकार नौशाद सदर खान हैं। फिल्म में मेकअप दीपशिखा एवं यश ने संभाला है। आर्ट डायरेक्शन विशाल मान एवं मनदीप दहिया ने किया है तथा क्रिएटिव डायरेक्टर हरिओम कौशिक रहे हैं। प्रोडक्शन का भार कुलदीप सिंह एवं विकास बेरवाल ने संभाला है।
इस अवसर पर विधायक दीपक मंगला ने पहुंचकर फिल्म की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी तथा सरकार की तरफ से सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर तथा कलाकारों को एक बेहतरीन विषय पर फिल्म बनाने पर बधाई दी।

अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए पवन राज मल्होत्रा ने कहा कि उन्होंने अनेकों नाटकों एवं फिल्मों में अभिनय किया परंतु जिस तरह फिल्म फ़ौजा की कहानी ने उनके दिल को छू लिया ऐसा शायद ही पहले कभी हुआ हो। भारतीय सेना को समर्पित इस फिल्म में काम करके उन्हें बेहद गर्व एवं खुशी है। कार्तिक एवं ऐश्वर्या ने भी इतने उम्दा कलाकारों के साथ डेब्यू करने का मौका मिलना अपना सौभाग्य बताया।
फिल्म निर्माता अजीत डालमिया ने बताया कि वे हमेशा से भारतीय सेना की निस्वार्थ देश सेवा के कायल रहे हैं और फिल्म ‘फ़ौजा’ उनकी तरफ से सेना एवं सैनिक परिवारों को एक छोटा सा श्रद्धा रूपी उपहार है। वे इस फिल्म के माध्यम से सैनिकों और उनके परिवारों द्वारा देश के लिए किए जाने वाले अनेकों त्याग दर्शकों के सामने लाना चाहते हैं ताकि देशवासियों को पता चले कि जितने वीर हमारे सैनिक हैं उतने ही वीर उन सैनिकों के परिवार भी हैं।
फिल्म निर्देशक प्रमोद कुमार ने फिल्म पर प्रकाश डालते हुए बताया कि फिल्म एक सामान्य हरियाणवी परिवार की कहानी है जिसके मुख्य किरदार फ़ौजा की 10 पीढ़ियां सेना में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं परंतु एक हादसे के कारण फ़ौजा सेना में भर्ती नहीं हो पाया। इस बात का उसे ताउम्र मलाल रहा लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और सेना में शामिल होने की अपने परिवार की परंपरा जारी रखने का प्रयत्न करता रहा। फ़ौजा इस प्रयास में कितना सफल हो पाता है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी ही पड़ेगी। यह फिल्म दिन रात सेना में शामिल होने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत रहेगी।