चंड़ीगढ़,(आवाज केसरी ) । प्रदेश में सोमवार को किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। फतेहाबाद में किसान और व्यापारी लघु सचिवालय में ट्रैक्टर लेकर पहुंचे । किसानों ने कहा कि सरकार ने अपने निर्णय वापस नहीं लिए तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
- किसानों का प्रदर्शन
- केंद्र के फैसलों के खिलाफ किसान
- अध्यादेश वापस लेने की मांग की
केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ आज सड़कों पर उतरे किसान । फतेहाबाद और यमुनानगर में किसान सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ आवाज उठाई। फतेहाबाद में किसानों ने केंद्र सरकार के अध्यादेशों के विरोध में जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
गौरतलब है कि सरकार ने फसल बेचने व मंडी से जुड़े कुछ अहम अध्यादेश पारित किए हैं। मोदी सरकार का दावा है कि इन फैसलों से किसान अपनी मर्जी के दामों पर फसल बेच सकेंगे और पूरे देश में कहीं भी बेच सकेंगे। लेकिन किसानों व किसान नेताओं का कहना है कि इन अध्यादेशों में बहुत खामियां जिसका फायदा कॉरपोरेट जगत और बिचौलियों को होगा।
इसी के मद्देजनर सोमवार 20 जुलाई को प्रदर्शन का आह्वान किया गया था। इस मौके पर हरियाणा के फतेहाबाद में किसान और व्यापारी लघु सचिवालय में ट्रैक्टर लेकर पहुंचे। किसानों ने कहा कि सरकार ने अपने निर्णय वापस नहीं लिए तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
वहीं, व्यापारियों का कहना है कि मंडी के बाहर कंपनियों को खरीद की इजाजत देने से मंडी का ढांचा टूट जाएगा। सरकार द्वारा मार्केटिंग बोर्ड बंद करने से मजदूर और व्यापारी बेरोजगार हो जाएंगे।
यमुनानगर में किसानों का प्रदर्शन
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले यमुनानगर में सैंकड़ों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाल कर अनोखे ढंग से अपना विरोध प्रदर्शन किया। काले झंडे लगाकर ट्रैक्टरों का विशाल काफिला जिला मुख्यलय पहुंचा । जहां किसानों ने सरकार के तीनों अध्यादेशों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवाया।
किसानों का आरोप है कि सरकार किसानों को कॉर्पोरेट सेक्टर का गुलाम बनाना चाहती है। किसानों द्वारा यमुनानगर डीसी मुकुल कुमार के माध्यम से पीएम के नाम ज्ञापन भी भेजा गया। किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह अपने हक के लिए बड़ा आंदोलन भी कर सकते हैं।
फैसलों का विरोध
केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश पारित किए हैं. वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश के तहत अब किसान अपने खेत में या देश के किसी भी हिस्से में अपनी फसल बेच सकेगा. सरकार का दावा है कि इससे किसान की आमदनी बढ़ेगी। इस अध्यादेश के आने से राज्यों के मंडी एक्ट सिर्फ मंडी परिसर तक ही सीमित हो गए हैं और किसान इसमें अपना नुकसान भी देख रहे हैं.।
मंडी व्यवस्था खत्म होने व्यापारियों की मनमानी बढ़ जाएगी और फसल कम दामों में बिकेगी।
वहीं, आवश्यक वस्तु से जुड़े बदलाव पर किसानों नेताओं का मानना है कि नई व्यवस्था में जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी। इसके अलावा मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश पर किसानों का मानना है कि इससे कॉन्ट्रैक्ट खेती बढ़ जाएगी, कंपनियां खेती करेंगी और किसान मजदूर बनकर रह जाएगा।
बढिया
धन्यवाद जी