पलवल, 5 जनवरी(हि.स.)। राष्ट्रीय राजमार्ग-19 स्थित अटोहां चौक पर चल रहा किसानो का धरना 34 वे दिन भी जारी रहा। 16 वे दिन की क्रमिक भूख हड़ताल पर रावत पाल के 11 किसान बैठे। किसान नेताओ का कहना है कि कल किसानो और सरकार के बीच हुई 8 वे दौर की वार्ता भी पूरी तरह विफल रही। इस वार्ता के विफल होने के बाद सरकार ने अपनी मंशा को पूरी तरह से साफ कर दिया कि वह किसानों के हित मे कोई भी फैसला नही लेना चाहती। जिसके बाद किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया और इस आंदोलन को तेज गति देने के लिए आज किसान नेताओ द्वारा सिंघु बॉर्डर पर एक बैठक का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे निर्णय लिया जाएगा कि वो सरकार के साथ होने वाली आगामी बैठक में हिस्सा लेंगे या नहीं।

पलवल के नेशनल हाइवे-19 स्थित अटोंहा चौक पर कृषि बिलों को रद्द करवाने, एमएसपी पर कानून लिखित बनवाने के लिए धरने पर बैठे किसानों का मनोबल दिन- प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, ठंड व सर्द हवा भी उनके मनोबल को कम नहीं कर पाई हैं । किसान नेता रतन सिंह सौरोत ने कहा कि कल किसानो की सरकार के साथ 8 वे दौर की वार्ता हुई थी। जोकि पूरी तरह से विफल रही। वार्ता के दौरान जहा एक तरफ किसान अपनी जायज मांगों को लेकर अडिग दिखाई दिए। तो वही सरकार ने भी अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए यह साफ कर दिया है कि इन कृषि बिलो को रद्द नही करना चाहती है। उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट हो चूका है कि सरकार वार्ताओं के नाम में किसानो को गुमराह कर रही है। जिससे कि किसान अलग – थलग हो जाए। लेकिन सरकार की इस मंशा को किसान कभी पूरी नहीं होने देंगे। किसानो अपनी मांगो को लेकर अब भी पूर्णतया अडिग है और जब तक सरकार इन तीनो काले कानूनों को रद्द नहीं करती है। तब तक किसान युहीं सड़को पर डटे रहेंगे। वह किसी भी सूरत में अपने घर वापस नहीं जायेंगे। उन्होंने कहा कल की वार्ता विफल होने के बाद किसानो में सरकार के प्रति खासा रोष है। जिसके लेकर आज किसान नेताओं द्वारा सिंघु बॉर्डर पर एक बैठक का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे यह निर्णय लिया जाएगा कि किसानो की सरकार के साथ होने वाले आगामी 8 जनवरी की वार्ता में वो हिस्सा लेंगे या नहीं। क्युकी सरकार ने पूंजीपतियों के साथ मित्रता निभाने और इन तीनों काले कानूनों को रद्द नहीं करने की कसम खा रखी है और सरकार की इस हठधर्मिता को देखते हुए कल किसानो द्वारा हजारो की संख्या में केजीपी और केएमपी पर एक विशाल ट्रेक्टर रैली निकाली जाएगी। किसानो का कहना है कि आने वाले दिनों में आंदोलन को तेज गति देकर और मजबूत किया जाएगा। जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाता। वो पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। चाहे समय कितना भी लगे सरकार को उनकी मांगों पर विचार करना ही होगा और जब तक सरकार इन्हे वापस नहीं ले लेती है। तब तक उनका आंदोलन यूँहीं जारी रहेगा और निश्चित तौर पर इन काले कानूनों के खिलाफ सरकार और किसानो के बीच चल रही इस लड़ाई में किसानो की ही जीत होगी और सरकार को हर हाल में किसान के आगे झुकना पड़ेगा और उन्हें ये काले कानून वापस लेने होंगे। हिन्दुस्थान समाचार/गुरुदत्त