पलवल,10 मई (गुरूदत्त गर्ग) । भारत में थैलीसीमिया से पीड़ित मरीजों की संख्या लाखों में है। हर वर्ष दस हजार से ज्यादा बच्चे थैलीसीमिया से ग्रस्त होते हैं। थैलीसीमिया से पीड़ितों को हर 15-20 दिन में रक्त चढ़ाना जाता है, ऐसे में थैलीसीमिया से ग्रस्त बच्चों के जीवन के लिए रक्तदान करना बेहद जरूरी है। यह बात महेश मलिक ने कही। उन्होंने आज अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर स्वेच्छा से 36वीं बार रक्तदान किया। मलिक ने रक्तदान करने की अपील करते हुए कहा है कि थैलीसीमिया से पीड़ितों का जीवन बाहरी रक्त पर ही टिका है, इसलिए उनके लिए रक्तदान अवश्य करें।
महेश मलिक ने बताया कि उन्हें मालूम हुआ कि थेलेसिमिक बच्चे को बी0पॉजिटिव समूह का रक्त चढ़ाया जाना है। साथ ही आज जन्मदिन के उपलक्ष्य में उसे रक्तदान करना था। इस मौके पर उन्होंने रक्तदान-महादान मुहिम को साबित करते हुए थैलीसीमिया बच्चे के लिए स्वेच्छा से रक्तदान किया। इस अवसर उन्होंने युवाओं को जागरूक करते हुए कहा कि हमें महापुरुषों की जयंती, शहीदी दिवस, अपने जन्मदिन, बच्चों का जन्मदिन, बुजुर्गों की पुण्यतिथि, शादी की सालगिरह एवं अन्य महत्वपूर्ण दिवसों पर रक्तदान करते हुए आयोजित करना चाहिए। जिससे कि रक्त हर जरूरतमंद को समय पर उपलब्ध कराया जा सके और रक्त के अभाव में किसी की जिंदगी ना जाए।
इस अवसर पर सहदेव मलिक निवासी गाँव जवां ने 5वीं बार रक्तदान किया। इस अवसर पर डॉ0 प्रशांत गुप्ता, अजनीत कालरा, नितिन कुमार अत्तरी, प्रीति सहरावत ने रक्तदाताओं को उत्साहित किया।