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डी एल एस ए पलवल द्वारा विधवा महिलाओं के लिए हालसा योजना 2020 की ऑनलाइन जानकारी दी

पलवल, (आवाज केसरी) ।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ,पलवल के तत्वाधान में माननीय जिला एवं शत्र न्यायाधीश एवं चेयरमैन श्री चंद्रशेखर व मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव, श्री पीयूष शर्मा  के निर्देशन में पैनल अधिवक्ता हंसराज शाण्डिल्य द्वारा कानूनी जागरूकता कार्यक्रम का  “ऑनलाइन” व्हाट्सएप के माध्यम से आयोजन किया गया।  हमारे समाज में विधवाओं के संरक्षण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लिए विधवाओं के लिए हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधवा महिलाओं को कानूनी सेवा योजनाएं 2020 लागू की गई हैं। यह योजना उनके परिवारों, रिश्तेदारों और समाज द्वारा अज्ञानता के मामले में विधवाओं के विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को रेखांकित करती है। केंद्र / राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाएँ विधवाओं के कल्याण और बेहतरी के लिए होती हैं, लेकिन अधिकांश  लोगों को इन योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं है फलस्वरूप इन योजनाओं का लाभ ऐसी जागरूकता के अभाव में उन  जरूरतमंद व्यक्तियों व महिलाओं तक नहीं पहुंच रहा है। सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को ऐसी योजनाओं के साथ विधवाओं को जोड़ने के लिए विधवा योजना के तहत जोड़ा गया है, ताकि उन्हें उनके हक के अनुसार लाभ मिल सके।  पैनल अधिवक्ता हंसराज शांडिल्य ने ऑनलाइन लोगों को जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना सभी मामलों में विधवाओं के लाभ और अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।  इस योजना को जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन के लिए हरियाणा के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों और उप-विभागीय विधिक सेवा समितियों के साथ साझा किया गया है। भारतीय संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने व स्वतंत्रता के अधिकार प्राप्त हैं। प्रत्येक नागरिक कानून के समक्ष समान है, तथा प्रत्येक पुरष व महिला समान अधिकार रखते हैं। इसके अलावा एक विधवा महिला हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार अपने पति की संपत्ति में अधिकार रखती है। अधिनियम 1956 ससुर के दायित्व को बनाए रखने की बात करता है उनके बेटे की विधवा, अगर वह  खुद अपने व अपने जीवन यापन करने में असमर्थ है और उसके पास कमाई का कोई साधन नहीं है तो ससुर का दायित्व है कि वह अपने बेटे की विधवा व बच्चों का पालन करें। इसके अलावा भी विधवा महिलाएं व स्त्रियां अन्य कानून जैसे घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005, सीनियर सिटीजन एक्ट 2007, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 आदि के माध्यम से भी अपना हक आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

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