Home खेल ऑलराउंडर पांड्या को धोनी ने दी बड़ी सीख    

ऑलराउंडर पांड्या को धोनी ने दी बड़ी सीख    

माही भाई ने मुझे पूरी जिंदगी के लिए बड़ी सीख दी - हार्दिक पांड्या

नई दिल्ली, 4 जून ( आवाज केसरी) । महेंद्र सिंह धोनी  की कप्तानी के वक्त कई भारतीय क्रिकेटरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की जिसमें से एक हार्दिक पांड्या भी थे। भारत के इस टॉप ऑलराउंडर ने साल 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली बार भारतीय जर्सी पहनी थी। उनके डेब्यू मैच में ही धोनी  ने हार्दिक को बहुत बड़ी सीख या ऐसे कहें की गुरुमंत्र दी थी।  साल 2016 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत व कंगारू टीम के बीच 26 जनवरी को एडिलेड में पहला टी20 इंटरनेशनल मैच खेला गया था। इस मैच के जरिए हार्दिक पांड्या ने भारत के लिए डेब्यू किया था और उन्हें इंटरनेशनल कैप दी गई थी। धोनी  इसलिए भी जाने जाते हैं कि वो अपने गेंदबाजों को इस बात की पूरी आजादी देते हैं कि वो अपनी मर्जी से फील्डिंग सेट कर सकते हैं और अपनी समझ के मुताबिक गेंदबाजी भी कर सकते हैं। इस मैच में जब हार्दिक पांड्या को गेंदबाजी दी गई तो उन्होंने पहली तीन गेंदें वाइड फेंकी और उस ओवर में 19 रन दिए। अपना पहला ओवर इतना खराब होने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि उनका क्रिकेट करियर इसी मैच के साथ खत्म हो गया। उन्होंने बताया कि मुझे सचमुच ऐसा लगा कि मेरा करियर खत्म हो चुका है। घरेलू क्रिकेट में भी कभी मैंने इतनी खराब गेंदबाजी नहीं की थी। उन्होंने इस मैच में अपनी पहली 8 गेंदों पर 26 रन दे दिए थे। हालांकि बाद में उन्हें दो विकेट लिए और इस मैच में उन्होंने 3 ओवर में 12.33 की औसत से कुल 37 रन दिए थे और 6 वाइड गेंदें फेंकी थी। 

हार्दिक ने बताया कि जब माही भाई ने मुझे बात करने के लिए बुलाया था तब 2-3 सेकेंड तक को मेरे पांव ही नहीं हिले। दरअसल वो चाहते थे कि मैं खुद ही अपनी गलती से सीखूं। अपने अनुभव से उन्होंने कुछ ऐसा किया कि जिससे मुझे ये सच्चाई पता लगी कि मैं भारत के लिए खेल रहा हूं। ये वो पल था जहां में खुद से ये कह सकता था कि मैं माही, कोहली व रोहित शर्मा का जानता हूं। उन्होंने कहा कि छह महीने पहले मैं जिन खिलाड़ियों की प्रशंसा करता था अब मैं  उनके साथ खेल रहा था। मैं उन खिलाड़ियों के साथ खेल रहा था जिन्हें मैं देखता था। बिना एक शब्द कहे बिना भी धौनी ने मुझे पूरी जिंदगी के लिए सबक दे दिया। यानी धौनी ने सिर्फ अपनी शरीर की भाषा से हार्दिक को ये अनुभव करा दिया कि वो देश के लिए खेल रहे हैं और वो जिनके साथ खेल रहे हैं वो इस वक्त भारत के टॉप क्रिकेटर्स हैं। इसका अहसास होने से हार्दिक का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया था। उस मैच में भारत को ऑस्ट्रेलिया पर 37 रन से जीत मिली थी।  

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