Home इतिहास श्री जंगेश्वर महादेव मन्दिर पलवल में भक्तो पर कोरोना की मार

श्री जंगेश्वर महादेव मन्दिर पलवल में भक्तो पर कोरोना की मार

प्राचीन शिव मन्दिर का बाहरी स्वरूप

पलवल के अति प्राचीन शिव मंदिर के स्वयंभू शिवलिंग को सावन के पहले सोमवार को भक्तों की पहुंच से  रखा दूर गया । मंदिर में जाने वाले  शिव भक्तों को मंदिर के पुजारी तथा मैनेजमेंट कमेटी की ओर से दूर से ही दर्शन करने की अनुमति दी हुई है | लगभग चार सौ वर्ष पुराने मंदिर के तीनों गेटों  पर तख्त लगाकर शिवालय के अंदर प्रवेश पर रोक लगाई हुई है ।जिससे शिव भक्तों की मन की तसल्ली नही हो पा रही है जो होनी चाहिए थी |

श्री जंगेश्वर महादेव मन्दिर में पाबंदी के कारण दूर से दर्शन नमन करते हुए शिव भक्त

  पलवल के सबसे पुराने और अति प्रतिष्ठित मन्दिरों में से एक श्री जंगेश्वर मन्दिर में भक्तों को सावन के महीने में कोरोना के चलते लगी पाबंदियों के कारण केवल दर्शनों के लिए खोला गया है |  पुजारी राकेश शर्मा ने बताया कि कोरोना के चलते सभी के स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से मंदिर मैनेजमेंट कमेटी ने प्रशासन के आदेश पर निर्णय लिया है कि मंदिर मंदिर में भक्त केवल दूर से दर्शन कर पाएंगे।  ना जल चढ़ा पाएंगे और ना ही पुष्प पल्लव आदि   चढ़ा पाने की इजाजत दी गई है। और ना ही भोग प्रसाद चढ़ाने की और प्रसाद बांटने की अनुमति दी गई है।

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श्री जंगेश्वर महादेव मन्दिर में स्वयंभू शिवलिंग

गौरतलब है कि पलवल का प्राचीन श्री जंगेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इस मंदिर के शिवलिंग को स्वयंभू बताया जाता है। यहां पर भगवान शिव की पूजा करने आने वाले भक्तों की सभी  मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।ऐसा लोगों का विश्वास है लेकिन कोरोना के चलते लोगों को आत्म संयम बरतने की सलाह दी गई है।

पुजारी राकेश कुमार शर्मा

मंदिर के पुजारी राकेश शर्मा का कहना है कि स्वास्थ्य और जीवन बना रहेगा तो सावन और सोमवार तो जीवन में  बहुत  आएंगे। इस साल यदि भगवान शिव पर जल नहीं चढ़ा पाएंगे तो क्या हो गया। सावन तो अगले साल भी आएगा।अगले साल सोमवार के दिन दोगुना जल और प्रसाद चढ़ा करके अपनी मनोवांछित मनोकामना को पूर्ण कर सकेंगे। इस बार जरूरी है लोग अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें उन तेरा करके ना संक्रमण छोड़ करके जाएं और ना लेकर जाएं इसी के मद्देनजर मंदिर में पूर्ण पाबंदी लगाई हुई है उन्होंने बताया कि मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को पहले सैनिटाइज किया जाता है उसके बाद ही मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत दी गई है और वह भी केवल दर्शनों के लिए।

शिव भक्त राधेश्याम गर्ग -पचास वर्षों के लगातार करते आ रहे हैं सेवा पूजा

यहाँ मन्दिर पर पिछले पचास वर्षों से आकर दर्शन- पूजा करने वाले राधेश्याम गर्ग ने बताया की पूजा और जल आदि चढाने की पाबंदी के कारण मन संतुष्ट नहीं हो पाता है हालांकि दर्शन हो जाते हैं | उन्होंने बताया की यहाँ इस मन्दिर में शिव लिंग से जो भी जीवन में कुछ भी माँगा है वः हमेशा पूरा हुआ है | मन्दिर में सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं |

शिव भक्त कृष्ण कुमार शर्मा

    ऐसा ही अन्य शिव भक्त कृष्ण कुमार ने बताया की मन्दिर का इतिहास बहुत पुराना है | पांच-सौ सात सौ साल पहले यहाँ पर कब्रिस्तान हुआ करता था एक दिन किसी एक ठाकुर को शिवजी ने सपने में दर्शन देकर कहा मने यहाँ पर दबा हुआ हूँ मुझे निकाल लो | खुदाई  करने पर शिव लिंग दिखाई दिया तो मुसलामानों के साथ जंग हुई | सैंकड़ों वर्षों तक विवाद चलता रहा तब अक बार फिर विवाद अंग्रेजों के काल में बड़े जोर-शोर से उठा तो फिर नीचे तक खुदाई करके शिव लिंग को निकालने का आदेश हुआ था लेकिन जब शिव लिंग का नीचे कोई पार नहीं पाया गया तो वहां पर मन्दिर बनाने का फैसला किया गया था | अंग्रेजों के समय में यहाँ पर मन्दिर बनाया गया था | उसके बाद कई बार पुनर्निर्माण की प्रक्रिया के चलते वर्तमान सस्वरूप दिखाई दे रहा है | मन्दिर में हजारों लोग रोजाना दर्शन और पूजा के लिए आते हैं | यहाँ पर लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है |

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