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कांग्रेस को लगेगा बड़ा झटका, पलवल के दिग्गज नेता हर्ष कुमार भाजपा में होंगे शामिल

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पलवल, 29 अप्रैल,( गुरुदत्त गर्ग)। हरियाणा की राजनीति एक बार फिर बदलाव की दहलीज पर खड़ी है। पलवल जिले की राजनीति के वरिष्ठ और प्रभावशाली चेहरे, पूर्व सिंचाई मंत्री हर्ष कुमार, बुधवार को होटल अनाज मंडी में आयोजित मुख्यमंत्री नायब सैनी की रैली में औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे। यह घटनाक्रम केवल एक दल से दूसरे दल में जाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी राजनीतिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। राजनीतिक सफर और पृष्ठभूमिहर्ष कुमार का राजनीतिक करियर 1996 में आरंभ हुआ, जब वे बंसीलाल सरकार में सिंचाई मंत्री बने। वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता करण दलाल के करीबी रिश्तेदार हैं, लेकिन दोनों के बीच दो दशक से अधिक समय तक गहरे राजनीतिक मतभेद रहे। वर्ष 2024 के चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, परंतु हथीन से टिकट न मिलने पर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी की जगह भाजपा उम्मीदवार हरेंद्र रामरतन का समर्थन किया। इस बागी रवैये के चलते उन्हें कांग्रेस से 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया।

राजनीतिक विश्लेषणराजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम पूर्व नियोजित था। हर्ष कुमार पिछले कुछ समय से भाजपा के संपर्क में थे। उनके भाजपा में शामिल होने से पलवल, हथीन और होडल विधानसभा क्षेत्रों में समीकरण बदल सकते हैं। उनके जनाधार और स्थानीय पकड़ को देखते हुए यह भाजपा के लिए एक रणनीतिक लाभ साबित हो सकता है।

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भाजपा की रणनीति को मजबूतीभाजपा लंबे समय से गैर-पारंपरिक वोट बैंक और स्थानीय प्रभावशाली चेहरों को जोड़ने की कोशिश कर रही है। ऐसे में हर्ष कुमार जैसे अनुभवी नेता का आना पार्टी के लिए खासकर पलवल और होडल में चुनावी मजबूती का कारण बन सकता है। कांग्रेस के लिए चेतावनीयह घटनाक्रम कांग्रेस के लिए राजनीतिक चेतावनी है। टिकट वितरण में असंतुलन, वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी और अंदरूनी गुटबाजी जैसी समस्याएं पार्टी के लिए संकट का कारण बन रही हैं। हर्ष कुमार का जाना न केवल एक नेता का नुकसान है, बल्कि क्षेत्रीय जनसमर्थन में भी सेंध माना जा रहा है।

हर्ष कुमार का भाजपा में प्रवेश हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। इससे न केवल क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरण बदलेंगे, बल्कि राज्य स्तर पर भी भाजपा को नई रणनीतिक दिशा मिल सकती है। अब देखने वाली बात होगी कि भाजपा उन्हें क्या भूमिका देती है और कांग्रेस इस नुकसान की भरपाई कैसे करती है।

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