पलवल, 2 जनवरी (गुरूदत्त गर्ग)। इस्लाम के नाम पर 1947 में भारत भूमि का विभाजन कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति का दुष्परिणाम था। पहले प्रधानमंत्री बने पंडित नेहरू विभाजन अस्वीकार कर देते हैं तो देश टूटने से बच सकता था। ऐसा होता तो अकेले पंजाब में उस समय 10 लाख से ज्यादा लोगों का कत्लेआम नहीं होता। जवाहरलाल नेहरू के कथित राजनीतिक उत्तराधिकारी राहुल गांधी अब भारत जोड़ों का भ्रामक नारा दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी पलवल के जिलाउपाध्यक्ष जगमोहन गोयल ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की उपयोगिता पर सवाल खड़ा करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस को कभी भारत की एकता में रुचि नहीं रही। यह यात्रा तो मृतप्राय होकर बुरी तरह बिखरी हुई कांग्रेस के अस्थि पंजर जोड़कर उसे फिर से जिंदा करने की ऐसी कोशिश है जिसका नाकाम होना तय है।पूर्व चेयरमैन जगमोहन गोयल ने कहा कि राहुल गांधी के शिखर पर रहते क लगातार राजनीतिक गर्त की तरफ सरकी है और यह यात्रा भी गिरावट और बिखराव के इस सिलसिले को रोक नहीं पाएगी। उन्होंने कहा कि देश के बंटवारे के कारण जो लाखों लोग मारे गए उनके विस्थापित वंशज हरियाणा भर में बसे हुए हैं। राहुल गांधी को करनाल और पानीपत की धरती पर इन हरियाणावासियों से कांग्रेस के पुराने पापों के लिए माफी मांगनी चाहिए।वरिष्ठ नेता गोयल ने कहा कि अपनी यात्रा में राहुल गांधी ‘प्यार की दुकान’ खोलने का जुमला उछाल कर यही साबित कर रहे हैं कि कांग्रेस के लिए राजनीति सेवा नहीं अपितु दुकानदारी है। उन्होंने कहा कि भाजपा राजनीति को राष्ट्र सेवा और जन सेवा का माध्यम बनाती है जबकि गांधी खानदान कांग्रेस को और कांग्रेस की राजनीति को अपनी खानदानी दुकान की तरह चलाता आया है।
जगमोहन गोयल ने कहा 1984 में हजारों निर्दोष और निहत्थे सिखों के कत्लेआम के लिए उत्तरदाई कांग्रेस नेतृत्व ने हमेशा नफरत की राजनीति की है। कांग्रेस की भाषा और शब्दावली भारत और भारतीय जनता पार्टी के प्रति कटुता व नफरत से उतनी ही लबरेज हैं जितनी नफरत पाकिस्तान के राजनेता भारत और भाजपा से करते हैं। यह महज संयोग नहीं है कि बिलावल भुट्टो जिन्हें पाकिस्तान का पप्पू कहकर पुकारा जाता है, राहुल गांधी की ही तरह बात बात में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कोसता है।उपाध्यक्ष जगमोहन गोयल ने यह भी कहा जो कांग्रेस पार्टी भारत के लिए सबसे बड़े सुरक्षा खतरे अर्थात चीन के साथ गुप्त समझौता कर राजीव गांधी फाउंडेशन में उससे चंदा प्राप्त करती हो, उसे राष्ट्रीय एकता के सवाल पर मुंह खोलने का नैतिक अधिकार नहीं है।