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देशभक्ति के लिए नागरिक करें अपने मौलिक कर्तव्यों का निर्वहन



पलवल 07 जुलाई (आवाज केसरी) ।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पलवल के तत्वाधान में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं चेयरमैन चंद्रशेखर व मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव पीयूष शर्मा के निर्देशन में आज गांव जल्हाका में पैनल अधिवक्ता हंसराज शाण्डिल्य द्वारा ऑनलाइन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य कोविड-19 वैश्विक महामारी को ध्यान में रखकर व सरकार द्वारा जारी आदेशों तथा कानूनों का उल्लंघन ना करते हुए सामाजिक दूरी कायम रखकर समाज में हमारे मौलिक कर्तव्य के प्रति जागरूकता लाना है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिरकण का गठन किया गया, जिसके अंतर्गत समाज के गरीब व कमजोर तथा जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान की जाती है और इसी के अंतर्गत लोगों के विवादों को निपटाने के लिए लोक अदालतों व मध्यस्थता केंद्र स्थापित करने का प्रावधान है तथा हर जिले में विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यक्रमों को जिले में लागू करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा तालुका विधिक सेवा समितियों का भी गठन किया गया है।
यह हैं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की नि:शुल्क कानूनी सेवाएं:-
कानूनी कार्यवाहियों में अधिवक्ता व वकील एवं एडवोकेट उपलब्ध कराना। किसी कानूनी कार्यवाही में न्यायालय शुल्क और देय अन्य सभी प्रभार अदा करना। कानूनी कार्यवाही में आदेशों आदि की प्रमाणित प्रतियों को प्राप्त कराना। कानूनी कार्यवाही में अपील और दस्तावेजों का अनुवाद कराना और टाईप सहित फाइल तैयार करना आदि का खर्च भी सरकार अदा करती है।
इन मामलों में दी जाती है मुफ्त कानूनी सहायता:-
यदि आप का मुकदमा किसी भी अदालत में लंबित हो या आपको मुकदमा करना हो तो आप सिविल जज व ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय तक और फिर किसी ट्रिब्यूनल, राजस्व न्यायालय, सरकार के सभी कार्यालयों और दूसरे निकाय जो अद्र्ध न्यायिक मामलों का निर्वहन करते हैं, कानूनी सेवा ले सकते हैं। मुफ्त कानूनी सेवा सभी दीवानी, अपराधिक, राजस्व तथा प्रशासनिक मुकदमों के लिए दी जाती है।
यह प्राप्त कर सकते हैं नि:शुल्क विधिक सेवाएं:-
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 में पात्र व्यक्तियों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएं प्राप्त करने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए गए है। इस अधिनियम के तहत जो व्यक्ति इन श्रेणियों में आता है कानूनी सेवाएं प्राप्त करने का हकदार होगा। जैसे – यदि आपकी वार्षिक आय तीन लाख रूपये से कम है अथवा महिलाएं एवं बच्चे, यदि आप औद्योगिक श्रमिक हैं। यदि आप न्यायिक हिरासत में रखे गए हैं। यदि आप मानसिक रूप से बीमार या विकलांग व्यक्ति हैं। यदि आप पिछड़े वर्ग व अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के सदस्य हैं। यदि आप मानव तस्करी या बेगार के शिकार हैं। यदि आप स्वतंत्रता सेनानी या उनके आश्रित हैं। यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैं। यदि आप हिजड़ा व किन्नर समुदाय से संबंध रखते हैं। यदि आप जनहित याचिका दायर करना चाहते हैं। यदि आप अवांछनीय परिस्थितयों जैसे सामूहिक आपदा, जातिय हिंसा, जातिगत अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप या औद्योगिक आपदा के शिकार हुए लोग हैं।
विधिक सेवा प्राधिकरण की नि:शुल्क कानूनी सेवाओं का लाभ ऐसे करें प्राप्त:-
आवेदन के माध्यम से लिखित रूप में भेजकर संबंधित प्राधिकरण से संपर्क कर नि:शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते है। ऑनलाइन आवेदन कर के पात्र व्यक्ति नि:शुल्क सहायता प्राप्त कर सकता है। उसके लिए नालसा की अधिकृत वेबसाइट पर जाकर उपलब्ध कानूनी सहायता आवेदन पत्र भरना होगा और साथ में आवश्यक दस्तावेजों को भी अपलोड करना होगा। तालुका स्तरों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक मौजूद विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से पात्र व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान की जाती है। अधिक जानकारी के लिए आप जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पलवल के 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध हैल्पलाईन नंबर- 01275-298003 पर संपर्क कर सकते हैं।
मौलिक कर्तव्य:-
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक कत्र्तव्यों का उल्लेख किया गया है। संविधान में वर्णित अधिकारों और कर्तव्यों का घनिष्ठ संबंध रहा है। अधिकार और कत्र्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक के बिना दूसरा अस्तित्वहीन हो जाता है। कत्र्तव्यों के बिना अधिकारों की मांग करना न्यायसंगत नहीं है। मौलिक कर्तव्य भारतीयों को सामान्य भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने, पर्यावरण और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने, वैज्ञानिक सोच का विकास करने, हिंसा को त्यागने और जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में निरंतर प्रयास करना है। नागरिक इन कर्तव्यों का पालन करने के लिए संविधान द्वारा नैतिक रूप से बाध्य हैं। संविधान के 42वें संशोधन के द्वारा भाग 4 में धारा 51 के अंतर्गत 11 मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है।
यह हैं मानव के मौलिक कर्तव्य:-
संविधान का पालन करें, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें। ऐसे आदर्शों का अनुसरण करें, जिनसे स्वतंत्रता आंदोलन का प्रोत्साहन मिलता था। भारत की एकता और अखण्डता की रक्षा करें, आवश्यकता पडऩे पर देश की रक्षा करें, सभी वर्गों के लोगों में भ्रातृत्व और समरसता की भावना बढ़ाएं और स्त्रियों का आदर व सम्मान करें। अपने देश की गौरवशाली परम्पराओं और संस्कृति को बनाए रखें, प्राकृतिक पर्यावरण जिसमें वन, नदियां, झील और जगत के जीव-जंतु शामिल हैं उनका संरक्षण एवं सुधार करना, मानवतावाद और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना, व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यकलाप के हर क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रयास करना, 6 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावक द्वारा शिक्षा का अवसर प्रदान करना आदि शामिल हैं।
आज हम वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर से गुजर रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति इस वैश्विक महामारी के दौरान सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों व कर्तव्यों का पालन नहीं करता है तो उन लोगों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत कार्यवाही की जा सकती है। यदि किसी व्यक्ति, पीडि़तों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री व सहायता नहीं मिल रही है या किसी मामले में कानूनी सहायता की आवश्यकता है तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पलवल की 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध हेल्पलाइन नंबर-01275-298003 पर कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
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