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बार काउंसिल का ऑनलाईन वोटिंग का निर्णय, लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करने वाला होगाः मनीष वशिष्ठ

बार काउंसिल द्वारा प्रस्तावित ऑनलाईन वोटिंग पर बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान ने उठाए सवाल

चंडीगढ़ः,(आवाज केसरी) ।  बार काउंसिल ऑफ पंजाब एवं हरियाणा द्वारा प्रस्तावित जिला एवं उपमण्डल स्तर पर स्थित बार एसोसिएशनस् के ऑनलाईन चुनाव के विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। इस संबंध में जिला बार एसोसिएशन नारनौल के पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा को पत्र लिख कर अपना विरोध जताया है।

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वशिष्ठ ने ऑनलाईन चुनाव के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बार काउंसिल ने इस संबंध में बनाए गए नियमों को ना तो सार्वजनिक किया तथा ना ही अधिवक्ताओं के सुझाव आमंत्रित किए हैं। उनका कहना है कि निर्णय लेने से पूर्ण अधिवक्ताओं के सुझाव आवश्यक थे, क्योंकि ऑनलाईन वोटिंग की प्रक्रिया में सबसे अधिक प्रभावित पक्ष वही है तथा उन्हें ही पूरे अंधेरे में रखा गया है।

वशिष्ठ ने कहा कि कि चुनावी प्रक्रिया का उद्देश्य किसी संस्था के पदाधिकारियों को चुनने मात्र का नहीं है, अपितु उस संस्था के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए है। उन्होंने कहा कि यदि बार काउंसिल, समस्त देश में वाहवाही लेने के उद्देश्य से ऑनलाईन वोटिंग का निर्णय लिया है, तो पहले इसके लिए पूरी तैयारी करनी चाहिए थी। ऑनलाईन वोटिंग से सम्पूर्ण देश में वाहवाही भले ही मिल जाए, लेकिन बिना तैयारी के बार काउंसिल का यह कदम, अधिवक्ताओं की संस्थाओं के लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करने वाला होगा।

उन्होंने कहा है कि बार काउंसिल ने निर्णय लेने से पूर्व इस तथ्य पर गौर ही नहीं किया कि क्या उसके डाटाबेस में सभी अधिवक्ताओं के मोबाइल नम्बर हैं? क्या उस फोन पर सभी अधिवक्ता स्मार्ट फोन व इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं? क्या सभी अधिवक्ता तकनीकी रूप से इतने समर्थ हैं, की वो इंटरनेट के माध्यम से एक बहुत ही सीमित समय में होने वाली चुनावी प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते है? इसके अतिरिक्त उनका कहना है कि ऑनलाईन चुनावी प्रक्रिया में चुनाव की गोपनीयता, पारदर्शिता समाप्त हो जाएगी।

वशिष्ठ का कहना है कि बार काउंसिल का यह कदम ‘वोट के लिए नोट’ को बढ़ावा देने वाला कदम साबित होगा। ऐसे में जो प्रत्याशी धनबली हैं, वो बार एसोसिएशनस् के संभावित नेता हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनावी प्रक्रिया में जो समय दिया जा रहा है वह भी कम है। बहुत से बुजुर्ग अधिवक्ताओं को स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने, इंटरनेट के माध्यम से लिंक को क्लिक करके वोट डालने जैसी तकनीकी जानकारी का भी आभाव है। जिसके चलते यदि एक भी वोटर मतदान के अपने अधिकार से वंचित हो गया, तो सम्पूर्ण चुनाव का अर्थ ही व्यर्थ हो जाएगा। इसके अतिरिक्त ऑन लाईन वोटिंग से वोटिंग तो करवाई जा सकती है, लेकिन चुनावी सम्पर्क को बार काउंसिल नियंत्रित नहीं कर सकेगी। कोरोना महामारी में चुनावी सम्पर्क के लिए घर घर जाकर सम्पर्क करेंगे तथा एक जगह एकत्रित होकर भी अपना प्रचार करेंगे, जिससे कोरोना महामारी के बढ़ने का खतरा है।

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