नई दिल्ली,13 सिंतबर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उसका प्रथम दृष्टया विचार है कि आत्महत्या से कोरोना पीड़ित रोगियों की मृत्यु को कोविड डेथ माना जाना चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार को भी अपने नए दिशानिर्देशों में ऐसी मौतों को कोविड डेथ के तौर पर शामिल नहीं करने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमने सरकार के हलफनामे को देखा है जो ठीक लगता है।
हालांकि अदालत ने कुछ मुद्दों की ओर इशारा किया जैसे कि उन कोरोना मरीजों के बारे में जिन्होंने आत्महत्या कर के जान दे दी और दूसरा यह कि राज्य केंद्र सरकार द्वारा जारी नीति को कैसे लागू करेंगे। सर्वोच्च अदालत की पीठ ने यह भी पूछा कि जो मृत्यु प्रमाणपत्र पहले ही जारी किए जा चुके हैं उनका क्या होगा। यही नहीं अस्पतालों की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का क्या होगा।
मुआवजा देने के लिए कोविड-19 मृत्यु प्रमाण पत्र पर केंद्र सरकार के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि कुछ त्रुटियां हैं जिनसे निपटने की दरकार है। दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आइसीएमआर का मानना है कि विषाक्तता, आत्महत्या, हत्या, दुर्घटना आदि के कारण होने वाली मौतों को कोविड डेथ के रूप में नहीं माना जाएगा भले ही व्यक्ति कोरोना से पीड़ित क्यों ना रहा हो…
अदालत ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया विचार है कि आत्महत्या करने वाले कोविड रोगियों की मृत्यों को कोविड डेथ के रूप में माना जाना चाहिए। मुआवजे के लिए याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता गौरव बंसल ने कहा कि कोविड-19 मौतों के आधिकारिक दस्तावेज के लिए जो दिशानिर्देश हलफनामे के साथ दाखिल किए गए हैं उनमें सरकार ने कोरोना पीड़ित की आत्महत्या से मौत को कोविड डेथ नहीं मानने का फैसला किया है।
इस पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया विचार है कि आत्महत्या करने वाले कोविड पीड़ितों की मृत्यु को भी कोविड डेथ के रूप में माना जाना चाहिए।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से इस मसले पर लिए गए अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा। इस निर्देश पर केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि सरकार इस मुद्दे पर फिर से विचार करेगी। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की है। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि कोविड के कारण मरने वालों के परिजनों के लिए अनुग्रह सहायता के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करें।