Home राजनीति महिला दिवस पर छात्राओं को किया जागरूक

महिला दिवस पर छात्राओं को किया जागरूक

पलवल। सोमवार को गोस्वामी गणेशदत्त सनातन धर्म महाविद्यालय, पलवल में महिला प्रकोष्ठ एवं यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस आयोजन की मुख्य वक्ता एसडी कॉलेज पलवल से सेवानिवृत्त भौतिक शास्त्र की प्राध्यापिका डॉ अनीता वर्मा तथा महाविद्यालय में ही कार्यरत हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रतिभा सिंगला थी। डॉ अनीता वर्मा ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस उन महिलाओं की प्रशंसा करने का दिन है जो व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं। कुछ ऐसे देश हैं, जहां महिलाओं के साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता है, इसलिए इन देशों में महिलाओं की मुक्ति के लिए विरोध प्रदर्शन किए जाते हैं। कई लोगों के लिए, महिलाओं की भूमिका केवल घरेलू कामों तक ही सीमित है। हालांकि, इसे बदलने की जरूरत है। महिलाओं को पुरुषों की तरह हर चीज में समान स्वतंत्रता और अवसर मिलते हैं। दुनिया लैंगिक समानता की ओर बढ़ रही है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच संतुलन की ओर बढ़ रहा है। एक बदलाव आवश्यक है। प्रतिभा सिंगला ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, हर कोई अपने जीवन में महिलाओं की सराहना करता है। हर कोई अपने जीवन में महिलाओं के मूल्य और महत्व को स्वीकार करता है और समाज में भी उनका जबरदस्त योगदान है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सभी को आत्म-महसूस करने और क्षमता के अनुसार लक्ष्यों को प्राप्त करने के बारे में है। इसके अलावा, महिलाओं को एक जबरदस्त सुधार करने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में सभी बाधाओं को पार करने का साहस जुटाना चाहिए। यह समाज में एक सामान्य मिथक है कि महिलाओं से संबंधित मुद्दे कोई बड़ी बात नहीं हैं। कई लोगों का मानना ​​है कि समाज में लिंग अंतर मौजूद नहीं है और व्यक्तियों द्वारा किए गए प्रयास पर्याप्त नहीं हैं और लिंग अंतर में कोई बदलाव नहीं ला सकते हैं। महिला दिवस समाज को यह एहसास दिलाने के बारे में है कि प्रत्येक व्यक्ति को अलग तरीके से काम करना होगा और समाज को बेहतर भविष्य की ओर बदलना होगा। आइक्यूएसी प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ प्रवीण वर्मा ने अपने वक्तव्य में बताया कि बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है। इसलिए हम अपने घर परिवार तथा कार्यालय में महिलाओं का सम्मान करेंगे और उन्हें खुश रखने का प्रयास करेंगे तो हमारा समाज निश्चित ही विकास की ओर अग्रसर होगा। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ के सपरा ने बताया कि देवी अहिल्याबाई होलकर, मदर टेरेसा, इला भट्ट, महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी और कस्तूरबा गांधी आदि जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं ने अपने मन-वचन व कर्म से सारे जग-संसार में अपना नाम रोशन किया है। कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी का बायां हाथ बनकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए सभी महिलाओं को अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए और पूरी आत्मनिर्भरता के साथ समाज के विकास में सहयोग करना चाहिए। महिला प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ रुचि शर्मा ने प्रभावशाली ढंग से मंच का संचालन किया तथा यौन उत्पीड़न विरोधी प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ अंजू ढल ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। इस आयोजन में महाविद्यालय की सभी महिला प्राध्यापिका डॉ रेनू रानी शर्मा, डॉ अंजू, डॉ वंदना कालरा , डॉ मनीषा अग्रवाल, वनिता सपरा एवं सेल्फ फाइनेंस विभाग की सभी महिला प्राध्यापिका उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर जी के सपरा ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। महाविद्यालय के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र कालरा, उपाध्यक्ष मनोज मंगला, सचिव बंशीधर मखीजा तथा कोषाध्यक्ष निलेश मंगला ने महिला प्रकोष्ठ को इस सफल आयोजन की बधाई दी तथा आगे भी ऐसे आयोजन करने के लिए प्रेरित किया।

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