पलवल। परशुराम कॉलोनी स्थित तीजों वाले मंदिर में चल रही भागवत कथा में गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया गया। कथा व्यास धर्मेंद्र शास्त्री द्वारा सुनाई जा रही है। जिसके आयोजक कॉलोनी व आसपास के लोग शामिल हैं। इनमें मुख्य रूप से बिजेंद्र पाठक, ठाकुर महावीर, पंडित अमरचंद, ठाकुर भरती, जय सिंह, सुभाष, पंडित विकास, जेपी पाठक, ओम प्रकाश, नरेश पहलवान, खिच्चूराम, पंडित राम सिंह, निहाल सिंह, सुमेर सिंह, सुंदर पाठक, कल्लू राम, रामवती सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे। व्यास धर्मेंद्र शास्त्री ने कहा कि जहां सत्य एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है। गाय की सेवा एवं महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रत्येक हिन्दू परिवार में गाय की सेवा अवश्य होनी चाहिए। क्योंकि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। जब भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि गांव में इंद्र पूजन की तैयारी में 56 भोग बनाए जा रहे हैं। श्रीकृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि कैसा उत्सव होने जा रहा है। जिसकी इतनी भव्य तैयारी हो रही है। नंद बाबा ने कहा कि यह उत्सव इंद्र भगवान के पूजन के लिए हो रहा है। क्योंकि वर्षा के राजा इन्द्र है और उन्हीं की कृपा से बारिश हो सकती है। इसलिए उन्हें खुश करने के लिए इस पूजन का आयोजन हो रहा है। इस पर श्रीकृष्ण ने इंद्र के लिए हो रहे यज्ञ को बंद करा दिया और कहा कि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल मिलता है। इससे इंद्र का कोई मतलब नहीं है। ऐसा होने के बाद इंद्र गुस्सा हो गए और भारी बारिश करना शुरु कर दिए। नंद गांव में इससे त्राहि-त्राहि मचने लगी तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिया। नंद गांव के लोग सुरक्षति हो गए। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का क्रम शुरु हुआ। गोवर्धन भगवान की पूजा सभी भक्तों को पंडित द्वारा विधि विधान से कराई गई। अन्त में आरती के पश्चात सभी को छप्पन भोग का दिव्य प्रसाद वितरित कराया गया। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरूष पहुंचे।
भागवत कथा में गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु
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