पलवल, 10 फरवरी (हि.स.) । कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी सहायक कृषि कार्य है इसलिए सीमांत किसानों, बेरोजगार युवाओं को पशुपालन का व्यवसाय अपनाना चाहिए। पशु पालन एवं डेयरिंग विभाग की योजनाओं का पशु चिकित्सकों की सलाह से पशुपालन कर लाभ उठाएं। पशु चिकित्सकों की सलाह पर अपने पशुओं में रोगों की रोकथाम के लिए समय-समय पर टीकाकरण करवाएं।
पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग के उप-निदेशक डा. नरेंद्र ने विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि उपायुक्त नरेश नरवाल के निर्देशानुसार जिला में पशु पालन का कार्य सुचारू रूप से करने के लिए समय-समय पर किसानों को जागरूक किया जाता है। उन्होने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान पलवल जिला क्षेत्र में कुल 123002 दुधारू पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया। जिनमें कुल 98769 भैंस व कुल 24233 गाय शामिल हैं। जिला क्षेत्र में कुल 289994 पशुओं को मुहखुर से बचाव के टीके लगाए गए। भेड़माता रोग से बचाव के लिए कुल 6600 भेड़ों को टीके लगाए गए। इसी प्रकार कुल 18000 पशुओं का इन्टीरो टॉक्सिनिया वैक्सिनेशन, स्वाइन फीवर के 1500, पीपीआर के 5500 तथा एफएमडी के 26 हजार 650 टीके लगाए गए।
उप-निदेशक डा. नरेंद्र ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान जिला क्षेत्र में अनुसूचित जाति योजना के अंतर्गत 40 दुधारू यूनिट स्थापित की गई। मिनी डेयरी यूनिट के अंतर्गत 3-5 मिल्च एनिमल्स की 28 तथा 10 मिल्च ऐनिमल्स की 02 और 50 मिल्च ऐनिमल्स की 01 मिनी डेयरी यूनिट स्थापित की गई। समेकित मुर्रा विकास योजना के अंतर्गत हरियाणा नस्ल की 33 गायों, साहीवाल नस्ल की 2 गायों तथा मुर्राह नस्ल की 5 भैंसो का चयन किया गया। पशुओं के बांझपन के ईलाज के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 136 शिविर लगाए जा चुके हैं और 50 बैकयार्ड पोल्ट्री यूनिट स्थापित की गई। हिन्दुस्थान समाचार/गुरुदत्त
पशु चिकित्सक की सलाह से पशुपालन करना होगा लाभकारी
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