पलवल (आवाज केसरी) भाजपा समर्थित भारतीय कृषक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में ना काफी बताते हुए आंदोलन कर रहे किसानों के बारे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उनका यहाँ पहंचने पर जोर दार स्वागत साथ ही उन्होंने भारतीय कृषक समाज द्वारा किसानों के हित में किए गए कार्यों की जानकारी दी। उससे पहले उन्होंने पूर्व प्रधानमन्त्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर अपनी तरफ से श्रद्धासुमन अर्पित किये |

भारतीय कृषक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृषणवीर सिंह ने पलवल हुड्डा सेक्टर दो में भारतीय कृषक समाज के प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ता अजित सिंह तेवतिया के कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि उनका संगठन 1955 से किसानों के हित में काम कर रहा है और उनके प्रयासों से बीते वर्ष किसानों के लिए बनाई जाने वाली नीतियों में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि 24 जून 2020 को उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने किसानों से जुड़े हुए तीन मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था और यह जोर देकर कहा कि उस समय तक किसान आंदोलन को लेकर दूर-दूर तक बिना कोई किसान था ना कोई किसान संगठन । उन्होंने कहा कि हमारी प्रधानमंत्री जी से सबसे पहली मांग थी कि किसानों के खेती से जुड़े मामलों में विवाद उत्पन्न होने पर उनके निवारण का अधिकार एसडीएम और डीएम के हाथों में ना दिया जाए क्योंकि डीएम और एसडीएम वर्षों तक मामलों की बारीकियों तक नहीं पहुंच सकते। जिसका दूसरे किसान नेता और संगठन भी विरोध कर रहे हैं हालांकि समय सीमा 30 दिन निर्धारित कर दी गई है। अपने दूसरे सुझाव में उन्होंने बताया कि सरकार जिला स्तर पर, राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर डिस्प्यूट सेटेलमेंट अथॉरिटी का गठन करे जिसमे 4 किसानों को रखें दो व्यापारियों को रखें तथा एक सरकार का प्रतिनिधि हो तथा उस डिस्प्यूट सेटेलमेंट अथॉरिटी का चेयरमैन किसान को ही बनाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अपने तीसरे सुझाव के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री जी से मांग की है कि पूरे देश में जितना भी आवारा पशु घूमता है उसके लिए प्रत्येक गांव में गौ चरण की भूमि पर एक व्यवस्था उन आवारा पशुओं के लिए की जाए जिसमें मनरेगा के द्वारा मजदूरों को काम मिले तथा आवारा पशुओं विशेषकर गोवंश से गोमूत्र इत्यादि से होने वाली आमदनी से वहां का खर्च चलाए जाने का कानून बनाया जाना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पिछले काफी दिनों से चल रहे किसानों के आंदोलन के बारे में मैं अपना मुंह नहीं खोलना चाहता क्योंकि मेरे किसान नेताओं से भी अच्छे सम्बन्ध , लोगों से आए दिन बातें होती रहती हैं । उनको गलत और सही ठहराने के लिए में यहां नहीं आया हूँ। मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि सरकार द्वारा कृषि सुधार कानून पूरी तरह किसानों के हित में नहीं है। इसमें कई अन्य चिंताओं के साथ-साथ एमएसपी सबसे बड़ी चिंता है।