पलवल जिला अस्पताल में कोविड-19 टेस्ट तथा इलाज की हकीकत जानने पर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। लोग यहां पर कोविड 19 टेस्ट की रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े करते दिखाई दे रहे हैं । यहाँ पर जिन लोगों की कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने की संभावना थी, उनकी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव बताई जा रही हैं, और जिन लोगों की कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आनी चाहिए थी उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। पोजिटिव रिपोर्ट आने अथवा संक्रमण के कारण भर्ती किये गये लोगों जुकाम खांशी की सामान्य दवाई मांगने पर भी नहीं दी जा रही है | और साबुन तथा हेंड सेनीटाईजर केवल उन लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा हो जो लोग प्रभावशाली हैं | गरीब तो यहाँ ठीक-ठाक आकर भी मर जाएंगे |
पलवल जिला अस्पताल स्थित कोविड वार्ड में बिना किसी लक्षण वाले जिन लोगों की कोविड 19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उपचार के लिए भर्ती किया गया है उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है | उनका कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है, बावजूद उसके रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जिसके कारण 3 दिन से जिला अस्पताल के कोविड आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया हुआ है | लेकिन जहां पर देखा जा रहा है कि मरीजों को किसी तरह का कोई उपचार नहीं दिया जा रहा, एक महिला को बुखार होने के बाद एक गोली दी गई लेकिन जब उसे जुखाम खांसी हुआ तो खांसी की दवाई माँगने पर यह कहकर कर देने से मना कर दिया कि दवाई खत्म हो गई है ।

यहां पर भर्ती लोगों का कहना है कि उन्हें भरपेट भोजन भी नहीं मिल पा रहा है| सुबह काफी देरी से चाय मिलती है उसके बाद दलिया खाने को दिया जाता है जिससे पेट नहीं भरता है। बताया कि दलिया के साथ कभी कभी एक केला दिया जाता है लेकिन केला देने में भी भेदभाव किया जाता है किसी को दे दिया जाता है ,और किसी किसी को एक* केला भी नहीं दिया जाता है ।इन लोगों का यह भी कहना है कि वह लोग यहां पर तीन दिन से भर्ती हैं लेकिन उन्हें मांगने पर भी साबुन और हैंड सेनीटाइजर नहीं दिया जा रहा है जबकि जिन लोगों के यहां पर कुछ संपर्क और जुगाड़ हैं उन लोगों को हैंड सैनिटाइजर के साथ साबुन भी दिया जा रहा है।
शमशाबाद कॉलोनी निवासी महेश ने बताया कि वह कारपेंटर का काम करता है जिसके कारण काम के लिए बाहर जाना पड़ता है| महेश का कहना है कि उसने जिला अस्पताल ककर खुद से दो बार कोविड-19 टेस्ट करवाया है-दोनों बार रिपोर्ट नेगेटिव आई है , जबकि उसकी पत्नी और बेटे की रिपोर्ट को पोजिटिव पाया गया है। महेश का कहना है कि यदि इस संक्रमण होना तो मुझे होना चाहिए था जबकि उसकी पत्नी और बच्चे तो घर पर ही रहते हैं| घर से बाहर उनका कहीं आना जाना नहीं होता और फिर भी उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है| महेश सिविल हॉस्पिटल में कराए जा रहे टेस्ट रिपोर्टों पर सवाल खड़े किए हैं महेश के अनुसार यहां पर किए जाने वाले टेस्टों की रिपोर्ट सही नहीं है।

इसी तरह एक लडकी जो फरीदाबाद स्थित एशियन होस्पिटल में काम करती थी और जून माह में चार दिन काम पर फरीदाबाद गई थी | उसे चार दिन से स्वांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है | यहाँ पर जब उपचार के लिए आई तो उसका कोविड टेस्ट के लिए सेम्पल लिया गया था लेकिन जब रिपोर्ट आई तो कोरोना वायरस का केस पॉजिटिव होने की संभावना के बावजूद भी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव बताई गई है| जबकि डिंपल नाम की यह लड़की फरीदाबाद में एशियन हॉस्पिटल में काम करती थी | गले में दर्द तथा सांस लेने में काफी तकलीफ रहने लगी तो इसके उपचार के लिए जिला अस्पताल में आई तो यहां पर केवल नेबुलाइज करने के बाद एकमात्र इंजेक्शन दे दिया जाता रहा | इस प्रकार वह पिछले 3 दिन में सात बार उपचार के लिए लाई गई हर बार उसे घर भेज दिया गया ।

लापरवाही की हद तो यह भी देखि गई की कोरोना के लक्षण वाली इस लड़की के एक्स-रे कराने के लिए कहा गया लेकिन एक्स देखने के लिए कोई डॉक्टर तैयार नहीं हुआ। कहने के बावजूद भी ईसीजी भी नहीं किया गया। डॉक्टरों से बार कहने के बाद केवल एक ही जवाब मिलता था की कोरोना रिपोर्ट आने से पहले वह ना को दवाई दे सकते हैं ना कोई टेस्ट कर सकते हैं | आखिरकार जब इस पीड़िता के पिता ने अपनी बेटी के साथ उपचार में की जा रही घोर लापरवाही मीडिया के सामने बयान की तो जवान बेटी सांस लेने में तकलीफ चलते रोते बिलखते माता पिता को डॉक्टरों ने यह कह दिया कि उनके पास इसका कोई इलाज नहीं है | हमारी तरफ से उसे पीजीआइ रोहतक लेकर चले जाओ , फरीदाबाद बादशाह खान ले जाएं , दिल्ली सफदरजंग ले जाएं अथवा किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में लेकर के जाएं उनकी मर्जी है, हम इसको यहाँ से रैफर कर रहे हैं | इस प्रकार स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावे और इंतजाम यहाँ खोखले दिखाई दे रहे हैं | जरूरत है यहाँ पर पर्याप्त डॉक्टरों की नियुक्तियां करने के साथ -साथ उनकी मानसिकता बदलने की | तभी लोगों तक अस्पतालों का लाभ पहुँच पायेगा |