पलवल। मॉर्डन विद्या निकेतन ( एम.वी.एन ) यूनिवर्सिटी, पलवल के अंतर्गत कृषि महाविद्यालय के प्रथम कृषि स्नातक बैच के अंतिम वर्ष के छात्रों के रूरल एग्रीकल्चर वर्क एक्सपीरियंस ( रावे ) का दो दिवसीय कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेवी देसाई ने किया। इस कार्यक्रम में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि महाविद्यालय विश्वविद्यालय हिसार के अंतर्गत स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र मंडकोला पलवल के संयोजक डॉक्टर डीवी पाठक विशिष्ट अतिथि व बागवानी वैज्ञानिक डॉक्टर रणबीर सिंह सैनी बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम का आरंभ करते हुए कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ श्री मयंक चतुर्वेदी ने कुलपति महोदय व अन्य सभी गणमान्य व्यक्तियों का अभिवादन करते हुए कहा कि आज का दिन कृषि महाविद्यालय व विश्वविद्यालय दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रथम कृषि स्नातक बैच के रावे कार्यक्रम के आरंभ के साथ एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। उन्होंने कार्यक्रम के उद्देश्यों से भी परिचित कराया। तत्पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेवी देसाई ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और लगभग 70 % लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार हेतु कृषि पर निर्भर है। कुलपति प्रोफेसर जेवी देसाई ने फैकल्टी व अन्य उपस्थित विद्यार्थियों को कहा कि कृषि से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अत्यंत उज्जवल है, क्योंकि कृषि व इससे संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के भरपूर अवसर है। एमवीएन यूनिवर्सिटी पलवल के रजिस्ट्रार डॉ श्री राजीव रतन ने विद्यार्थियों को बताया कि भारत के कुल घरेलू उत्पाद में कृषि को हिस्सेदारी लगभग 21 % है। उन्होंने कहा कोरोना जैसी महामारी के समय भी केवल कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा। इस अवसर पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के अंतर्गत स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र मंडकोला पलवल के संयोजक डॉ डीवी पाठक ने कृषि विज्ञान केंद्र की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी और साथ ही जैविक कीटो तथा केंचुआ पालन के बारे में विद्यार्थियों को जागृत किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ रणबीर सिंह सैनी ने कहा कि उच्च कोटि के कृषि वैज्ञानिक विशेषज्ञ पैदा करने में किताबी ज्ञान की जितना सक्षम बनाता है, उससे ही कहीं अधिक भूमिका प्रैक्टिकल या व्यवहारिक ज्ञान की होती है और रावे इस संदर्भ में विद्यार्थियों के लिए उत्तम अवसर प्रदान करता है। जिसके मार्फत के किसानों के बीच व सीधे संबंध संपर्क में रहकर कृषि की वास्तविक परिस्थितियों व व्यावहारिक पहलुओं और समस्याओं से रूबरू होते हैं। कार्यक्रम के अंत में पौधारोपण किया गया तथा देवेश भटनागर ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के अगले दिन संभागीय वन अधिकारी पलवल डॉक्टर दीपक पाटिल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने जलवायु परिवर्तन में खेती पर जोर दिया। कृषि विज्ञान केंद्र फरीदाबाद की वैज्ञानिक डॉक्टर वर्षा रानी ने शरीर के प्रतिरोधक क्षमता में भोजन के सूक्ष्म पोषक तत्वों की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। अंतिम व्याख्यान अभिनव और प्रगतिशील किसान सम्राट सिंह चौहान द्वारा किया गया। उन्होंने जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण पर चर्चा की। अंत में कृषि विद्यालय के डीन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। दोनों दिन विभिन्न विभागों एवं विद्यालयों के विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलाधिपति संतोष शर्मा एवं अध्यक्ष वरुण शर्मा ने आयोजक टीम को बधाई दी। कार्यक्रम के अंत में पौधारोपण किया गया तथा डॉ मयंक चतुर्वेदी ने सभी को धन्यवाद दिया।
कृषि विद्यार्थियों का भविष्य अत्यंत उज्जवल : कुलपति
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